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लाशों से ऐसा नाता कि उनके बीच ही बना लिया ठिकाना, वहीं ली अंतिम सांस

locationभोपालPublished: Nov 24, 2021 02:39:16 pm

Submitted by:

deepak deewan

लाशों के बीच जिए

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लाशों के बीच जिए, वहीं त्याग दिए प्राण

भोपाल. मृत शरीर से प्राय: लोग दूर भागते हैं पर चैनसिंह को मानो लाशों से लगाव था. उनका शवों से ऐसा नाता बन गया था कि वे जीवनभर लाशों के बीच ही रहे. मरचुरी— मुर्दाघर में काम करते हुए यहीं खाते—पीते और यहीं सोते—जागते. यहां तक कि अपनी जिंदगी की अंतिम सांस भी उन्होंने मुर्दाघर में ही ली.

हमीदिया की मरचुरी के सफाईकर्मी चैन सिंह का निधन
चैन सिंह हमीदिया अस्पताल की मरचुरी में बतौर सफाईकर्मी करीब 25 साल से सेवाएं दे रहे थे। वे सडक हादसों में क्षत-विक्षत और लावारिश शवों की पूरे सम्मान से देखभाल करते थे. अकेले होने के कारण मरचुरी ही चैन सिंह का मुख्य ठिकाना था। दिन-रात शवों के बीच रहकर परिसर की साफ-सफाई भी उनके जिम्मे थी। मंगलवार को उनकी मौत हो गई.

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मरचुरी के बाहर कुर्सी पर ही अपने प्राण त्यागे
खास बात यह है कि उन्होंने मरचुरी के बाहर कुर्सी पर ही अपने प्राण त्याग दिए। उनके कामों की भरपूर प्रशंसा की गई थी. उनकी सेवाओं के लिए स्वयं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी उनका सम्मान कर चुके हैं।

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डॉक्टरों और स्टाफ ने भांजे के साथ कराया अंतिम संस्कार
मंगलवार को उनकी अचानक हुई मौत के बाद हमीदिया के डॉक्टरों ने उनका पोस्टमार्टम कराया। ऐसा बताया जाता है कि चैन सिंह की शादी नहीं हुई थी, लिहाजा उनके भांजे के साथ डॉक्टरों और मरचुरी के स्टाफ ने अंतिम संस्कार कराया। साथियों की मानें तो वे अस्थाई कर्मचारी के तौर पर समर्पित भाव से काम करते थे।

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