हवा में आलू बीज उत्पादन तकनीक इसलिए है कारगर
एरोपॉनिक के जरिये पोषक तत्वों का छिडक़ाव मिस्टिंग के रूप में जड़ों में किया जाता है। पौधे का ऊपरी भाग खुली हवा व प्रकाश में रहता है। एक पौधे से औसत 35-60 मिनी कन्द (3-10 ग्राम) प्राप्त किए जाते हैं। चूंकि, मिट्टी उपयोग नहीं होती तो मिट्टी से जुड़े रोग नहीं होते। पारंपरिक प्रणाली की तुलना में एरोपॉनिक प्रजनक बीज के विकास में दो साल की बचत करती है।
एरोपॉनिक के जरिये पोषक तत्वों का छिडक़ाव मिस्टिंग के रूप में जड़ों में किया जाता है। पौधे का ऊपरी भाग खुली हवा व प्रकाश में रहता है। एक पौधे से औसत 35-60 मिनी कन्द (3-10 ग्राम) प्राप्त किए जाते हैं। चूंकि, मिट्टी उपयोग नहीं होती तो मिट्टी से जुड़े रोग नहीं होते। पारंपरिक प्रणाली की तुलना में एरोपॉनिक प्रजनक बीज के विकास में दो साल की बचत करती है।
आलू उत्पादन में मालवा क्षेत्र अग्रणी, प्रसंस्करण के लिए आदर्श स्थितियां
मध्य प्रदेश का आलू उत्पादन में छठा स्थान होने से भी महत्वपूर्ण है कि यहां आलू प्रसंस्करण के लिए आदर्श स्थितियां हैं। मालवा क्षेत्र उत्पादन अग्रणी है। इंदौर, उज्जैन, देवास, शाजापुर, ग्वालियर, भोपाल के अलावा छिंदवाड़ा, सीधी, सतना, रीवा, राजगढ़, सागर, दमोह, जबलपुर, पन्ना, मुरैना, छतरपुर, विदिशा, रतलाम और बैतूल में भी इसकी पैदावार ली जाती है। प्रदेश के बागवानी आयुक्त ई. रमेश कुमार ने बताया कि मप्र को लगभग चार लाख टन बीज आलू की जरूरत पड़ती है, जिसे 10 लाख मिनी ट्यूबर उत्पादन क्षमता वाली इस तकनीक से पूरा किया जाएगा। ग्वालियर में एक जिला-एक उत्पाद के अंतर्गत आलू फसल का चयन किया गया है।
मध्य प्रदेश का आलू उत्पादन में छठा स्थान होने से भी महत्वपूर्ण है कि यहां आलू प्रसंस्करण के लिए आदर्श स्थितियां हैं। मालवा क्षेत्र उत्पादन अग्रणी है। इंदौर, उज्जैन, देवास, शाजापुर, ग्वालियर, भोपाल के अलावा छिंदवाड़ा, सीधी, सतना, रीवा, राजगढ़, सागर, दमोह, जबलपुर, पन्ना, मुरैना, छतरपुर, विदिशा, रतलाम और बैतूल में भी इसकी पैदावार ली जाती है। प्रदेश के बागवानी आयुक्त ई. रमेश कुमार ने बताया कि मप्र को लगभग चार लाख टन बीज आलू की जरूरत पड़ती है, जिसे 10 लाख मिनी ट्यूबर उत्पादन क्षमता वाली इस तकनीक से पूरा किया जाएगा। ग्वालियर में एक जिला-एक उत्पाद के अंतर्गत आलू फसल का चयन किया गया है।
लाइसेंस देने के लिए अनुबंध किया है
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों को प्रमाणित बीज समय पर उपलब्ध कराने आईसीएआर के संस्थान नई-नई तकनीक विकास कर रहे हैं। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित एरोपॉनिक विधि से आलू बीज की उपलब्धता देश के कई भागों में किसानों के लिए सुलभ हुई है। बुधवार को मप्र के बागवानी विभाग को इस तकनीक का लाइसेंस देने के लिए अनुबंध किया गया है।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों को प्रमाणित बीज समय पर उपलब्ध कराने आईसीएआर के संस्थान नई-नई तकनीक विकास कर रहे हैं। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित एरोपॉनिक विधि से आलू बीज की उपलब्धता देश के कई भागों में किसानों के लिए सुलभ हुई है। बुधवार को मप्र के बागवानी विभाग को इस तकनीक का लाइसेंस देने के लिए अनुबंध किया गया है।
गुणवत्ता वाले बीज से बढ़ेगा उत्पादन
मप्र के मंत्री भारत सिंह कुशवाह का कहना है कि राज्य में उच्च गुणवता वाले बीज़ की कमी हमेशा से समस्या रही है, जिसका हल निकाला जा रहा है। एयरोपॉनिक तकनीक आलू बीज की जरूरत काफी हद तक पूरी करेगी। राज्य के आलू उत्पादन में वृद्धि करेगी। आज हुए इस अनुबंध से मध्य प्रदेश के आलू उत्पादन किसानों को काफी सहूलियत होगी।
मप्र के मंत्री भारत सिंह कुशवाह का कहना है कि राज्य में उच्च गुणवता वाले बीज़ की कमी हमेशा से समस्या रही है, जिसका हल निकाला जा रहा है। एयरोपॉनिक तकनीक आलू बीज की जरूरत काफी हद तक पूरी करेगी। राज्य के आलू उत्पादन में वृद्धि करेगी। आज हुए इस अनुबंध से मध्य प्रदेश के आलू उत्पादन किसानों को काफी सहूलियत होगी।