शहर में अतिक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच यहां से कब्जे हटाने शिकायत भी है। मामले में सामाजिक संगठनों ने दो विभागों को पत्र भेजे हैं। ईदगाह की देखरेख और यहां की जिम्मेदारी वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आती है। ऐसे में एक शिकायत यहां पर की गई। वक्फ बोर्ड ने यहां के कुछ जर्जर हिस्सों में सुधार पिछले कुछ सालों में कराया था। इसके लिए बोर्ड ने अलग से राशि भी मंजूर की थी। अब यहां पर कुछ कब्जों को लेकर परेशानी है।
जमीयत उलेमा, सीटिजन फोरम सहित शहर के सामाजिक संगठनों ने मामले को उठाया है। सिटीजन फोरम के मोहम्मद आफाक ने बताया कि ईदगाह के पास के हिस्से में खाली जगह हैं जो यहां की पार्र्किंग है। इस पर बीते कुछ समय से अतिक्रमण के मामले आए हैं। इमरान हारून ने बताया कि वक्फ बोर्ड में हाल में ही इसकी शिकायत की है। यहां अमला न होने की बात कही। इस मामले में निगम को भी शिकायत की जा चुकी है। इन्हें कौन सुलझाएगा स्थिति स्पष्ट नहीं है। हालांकि ईद के अलावा बाकी दिनों में इस जगह का उपयोग बोर्ड की अनुमति के जरिए किया जाता है।
जमीयत उलेमा, सीटिजन फोरम सहित शहर के सामाजिक संगठनों ने मामले को उठाया है। सिटीजन फोरम के मोहम्मद आफाक ने बताया कि ईदगाह के पास के हिस्से में खाली जगह हैं जो यहां की पार्र्किंग है। इस पर बीते कुछ समय से अतिक्रमण के मामले आए हैं। इमरान हारून ने बताया कि वक्फ बोर्ड में हाल में ही इसकी शिकायत की है। यहां अमला न होने की बात कही। इस मामले में निगम को भी शिकायत की जा चुकी है। इन्हें कौन सुलझाएगा स्थिति स्पष्ट नहीं है। हालांकि ईद के अलावा बाकी दिनों में इस जगह का उपयोग बोर्ड की अनुमति के जरिए किया जाता है।
विभागों के बीच भी दिक्कत शहर की कई व्यवस्थाएं अलग-अलग विभागों के बीच होने के कारण कई जगह तो बेहतर स्थिति है तो कहीं बुरे हाल हैं। कोई समस्या होने पर उसे हल करने की जिम्मेदारी विभाग एक दूसरे पर टाल देते हैं। यह स्थिति राजधानी स्थित ईदगाह की पार्किंग के पास कब्जे हो गए हैं।
कई काम अटके
विभागों के इस फेर में कई और भी काम अटके हुए हैं। सबसे ज्यादा कब्जों से संबंधित हैं। जमीयत उलेमा के इमरान हारून ने बताया कि कब्रिस्तानों की जमीन विभागों की अनदेखी के कारण लगातार कम होती जा रही है। व्यावसायिक क्षेत्रों में अधिकांश कब्रिस्तान तो खत्म ही हो चुके हैं। जो बाकी हैं वहां कई कब्जे हैं। पुराने आरटीओ के पास कब्रों के पास दुकानों का संचालन हो रहा है।
विभागों के इस फेर में कई और भी काम अटके हुए हैं। सबसे ज्यादा कब्जों से संबंधित हैं। जमीयत उलेमा के इमरान हारून ने बताया कि कब्रिस्तानों की जमीन विभागों की अनदेखी के कारण लगातार कम होती जा रही है। व्यावसायिक क्षेत्रों में अधिकांश कब्रिस्तान तो खत्म ही हो चुके हैं। जो बाकी हैं वहां कई कब्जे हैं। पुराने आरटीओ के पास कब्रों के पास दुकानों का संचालन हो रहा है।