दरअसल 18 जनवरी 2018 को शुरू हुई तोडफ़ोड़ की कार्रवाई लगातार तीन दिन तक चलती रही और वर्षो पुराने मार्केट को मलबे में तब्दील कर दिया। तीन दिन तक इस कार्रवाई को रोकने के लिए कोई आगे नहीं आया। कार्रवाई के बाद कई नेता जरूर पहुंचे लेकिन सिर्फ आश्वासन देकर रवाना हो गए। इस अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई में 100 से अधिक दुकानों व मकानों को नुकसान पहुंचा। इसमें कई दुकानदारों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। दुकानों के माध्यम से गुजारा कर रहे व्यापारी संकट में आ गए।
अतिक्रमण तोड़ा, नहीं हुआ मार्ग का काम
आदर्श मार्ग की योजना के तहत चंचल रोड मिनी मार्केट मार्ग की चौडा़ई 15 मीटर करने के लिए तोडफ़ोड़ की गई थी। जिससे कई दुकानदारों ने अपनी पहचान खो दी। इस कार्रवाई को जनवरी में एक साल हो चुका है लेकिन अब तक ना तो मॉडल रोड बन सकी है ना ही पीडि़त परिवारों को मुआवजा मिल पाया है।
आज भी पीडि़त परिवार कच्ची गुमठियों मेें अपना व्यपार संचालित कर जीवनयापन कर रहे हैं। संत कंवरराम चौराहे से लेकर मिनी मार्केट तक सडक़ चौड़ीकरण के लिए अतिक्रमण हटाया गया लेकिन सडक़ का विस्तार नहीं हो सका अब यहां वाहनों की अवैध पाकिंग हो रही है।
कछुआ चाल से हो रहा निर्माण कार्य
मॉडल रोड को बनाने के लिए एक साल पहले की गई कार्रवाई के बाद चंचल रोड पर निर्माण कार्य में तेजी लाने का दावा महापौर आलोक शर्मा ने किया था लेकिन बीते एक बरस में मार्ग पर कछुआ गति से निर्माण कार्य चल रहा है अभी भी बिजली ट्रांसफार्मर पोल शिफ्टिंग का कार्य पूरा नहीं हो सका। निर्माण में कई खामियां हैं।