इसके अतिरिक्त बुध जिस घर में बैठते हैं या जिसके साथ बैठते हैं, मान्यता के अनुसार ये उसी के अनुरुप फल भी देते हैं अर्थात ग्रहों की संगति के अनुरूप ही यह फल देते हैं। बुध मुख्य रूप से सूर्य देव के साथ बुधादित्य योग का निर्माण करते हैं।
पंडित शर्मा के मुताबिक यदि बुध ग्रह शुभ ग्रहों (गुरु, शुक्र और बली चंद्रमा) के साथ होता है तो यह शुभ फल देता है और क्रूर ग्रहों (मंगल, केतु, शनि राहु, सूर्य) की संगति में अशुभ फल देता है। बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है।
वहीं कन्या इसकी उच्च राशि भी है, जबकि मीन इसकी नीच राशि मानी जाती है। 27 नक्षत्रों में बुध को अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है।
हिन्दू-ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क, संवाद, गणित, चतुरता और मित्र का कारक माना जाता है। सूर्य और शुक्र, बुध के मित्र हैं जबकि चंद्रमा और मंगल इसके शुत्र ग्रह हैं। बुध का वर्ण हरा है और सप्ताह में बुधवार का दिन बुध को समर्पित है।
ये देता है असर: मान्यता के अनुसार जिस जातक की जन्म कुंडली में बुध ग्रह लग्न भाव में स्थित हो, वह व्यक्ति शारीरिक रूप से सुंदर होता है। देखने में व्यक्ति अपनी वास्तविक उम्र से कम आयु का दिखता है तथा उसकी आंखें चमकदार होंगी।
लग्न का बुध व्यक्ति को स्वभाव से चालाक, तर्कसंगत, बौद्धिक रूप से धनी और कुशल वक्ता बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति का स्वभाव भी सौम्य होता है और वह कई भाषाओं का ज्ञाता होता है। व्यवसाय क्षेत्र में भी ऐसे जातक सफल होते हैं। प्रथम भाव में बैठा बुध ग्रह जातक व्यक्ति को दीर्घायु प्रदान करता है।
व्यक्ति अपनी बातों से सबको मोह लेता है। बली बुध व्यक्ति को कुशाग्र बुद्धि का बनाता है। वह गणित विषय में अच्छा होता है। व्यक्ति की गणना करने की शक्ति तीव्र होती है। ऐसे जातक सभी विषयों को तार्किक दृष्टि से देखते हैं।
इसके अलावा वाणिज्य और क़ारोबार में भी ऐसे व्यक्ति सफल होते हैं। बुध की कृपा जिस व्यक्ति पर होती है, वह एक अच्छा वक्ता होता है। संवाद और संचार के क्षेत्र में व्यक्ति अग्रणी भूमिका निभाता है।
इस स्थिति में जातक अपने विचारों को सही रूप में बोलकर पेश नहीं कर पाता है तथा वह गणित विषय में कमज़ोर होता है और उसे गणना करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
पीड़ित बुध जातक को दिमागी रूप से कमज़ोर बनाता है। उसे चीज़ों को समझने में दिक्कत होती है। पीड़ित बुध के प्रभाव से व्यक्ति को क़ारोबार में हानि होती है। व्यक्ति के जीवन में दरिद्रता आती है। ऐसे में जातकों को बुध ग्रह से संबंधित उपाय करना चाहिए।
ये देता है बीमारी – पीड़ित बुध के कारण जातक को स्वास्थ्य हानि का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति को बोलने में समस्या, नसों में पीड़ा, बहरापन, जीव, मुख, गले तथा नाक से संबंधित रोग, चर्म रोग, अत्यधिक पसीना आना, तंत्रिका तंत्र में परेशानी आदि का सामना करना पड़ता है।
रत्न – पन्ना। रंग – हरा। रुद्राक्ष – चार मुखी रुद्राक्ष।
बुध के कार्यक्षेत्र – वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह का संबंध वाणिज्य, लेखन, एंकरिंग, वकील, पत्रकारिता, कथा वाचक, प्रवक्ता आदि से है।वैदिक मंत्र…
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेथामयं च।
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।। बुध का तांत्रिक मंत्र…
ॐ बुं बुधाय नमः ।। बुध का बीज मंत्र…
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।।
आज कई ख़ुशनुमा पल आएंगे। ज़्यादा ख़र्च से बचें। ज़रूरत के वक़्त आपको दोस्तों का सहयोग मिलेगा। किसी ऐसे नए उद्योग से जुड़ने से बचें जिसमें कई भगीदार हों और अगर ज़रूर पड़े तो उन लोगों की राय लेने से न कतराएं, जो आपके क़रीबी है। आज जीवन में किसी रोचक चीज़ के संकेत दिखाई देने लगेंगे।
4. कर्क राशि: आज के दिन आप कार्यक्षेत्र में कुछ बढ़िया कर सकते हैं। दूसरों की राय को ग़ौर से सुनें। दूसरों को प्रभावित करने के लिए ज़रूरत से ज़्यादा ख़र्चा न करें। जिन्हें आप चाहते हैं, उनके साथ उपहारों का लेन-देन करने के लिए अच्छा दिन है। निजी मसले नियंत्रण में रहेंगे।