मुख्यमंत्री कमलनाथ का मानना है कि इस कार्यक्रम से सरकार का जनता से सीधा संवाद होगा। साथ ही भाजपा द्वारा उनकी सरकार के खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रम को भी दूर किया जा सकेगा।
दरअसल, पिछले दिनों में विपक्ष ने किसान कर्जमाफी और बिजली कटौती को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। इसी के चलते सरकार ने पहले प्रभारी मंत्री के साथ प्रभारी सचिव नियुक्त किए। अब गांव की समस्या, गांव में ही निपटाने की तैयारी की है। अधिकारी गांवों का औचक निरीक्षण भी करेंगे। उन्हें निरीक्षण के बाद विकासखण्ड मुख्यालय पर शिविर लगाना होंगे।
अफसरों से कहा गया है कि वे भ्रमण के समय गांव के स्कूल, आंगनबाड़ी केन्द्र, हॉस्टल, राशन दुकान, अस्पताल, ग्राम पंचायत ऑफिस की स्थिति भी देखें। संबंधित जिलों के कलेक्टरों की जिम्मेदारी होगी कि वे मंत्री और विधायकों से चर्चा कर शिविर आयोजित करने की तिथि निर्धारित करें। इसके प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी भी कलेक्टर की ही होगी। प्रत्येक मंत्री, विधायक एक माह में दो शिविरों में उपस्थित रहेंगे।
यह है सरकार की मंशा
– शासन-प्रशासन को ग्रामीणों के और करीब ले जाना।
– नागरिकों की समस्याओं, व शिकायतों का निवारण करना।
– विकास संबंधी मांगें प्राप्त कर उन्हें पूरी कराना।
– सभी सरकारी योजनाओं का निरीक्षण और निगरानी करना।
समस्या का तत्काल निराकरण नहीं हुआ तो बताना होगी समय सीमा
शिविर में शामिल होने वाले आवेदकों की समस्या का तत्काल निराकरण करने का प्रयास होगा। यदि इसमें कोई दिक्कत है तो अफसरों को यह बताना होगा कि इसका कब तक निराकरण कर लिया जाएगा, लेकिन ऐसे बहुत कम प्रकरण हों, जिनके मामले में समय सीमा बताने की जरूरत पड़े। अफसरों को चेताया गया है कि शिविर व्यवस्थित ढंग से लगाए जाएं। इसमें अनावश्यक दिखावा और आडंबर न हो।
14 विभागों के अफसर होंगे शिविर में शामिल
राजस्व विभाग , पंचायत, वन, ऊर्जा, आदिम जाति कल्याण, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, कृषि, लोक स्वास्थ्य, स्कूल शिक्षा, जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, सहकारिता और खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता विभागों के जिला स्तर के अधिकारी शिविरों में आवश्यक रूप से हिस्सा लेंगे।