उस समय से लेकर अब तक हर शनिवार को शहर में किसी एक स्थान पर संगीतमय सुंदरकांड का आयोजन किया जाता है। मंडल के सभी सदस्य एक गणवेश में होते हैं। इस मंडल में संचालक देवेन्द्र सक्सेना, कोषाध्यक्ष मनोज खंडेलवाल, आचार्य पं. राधेश्याम तिवारी, महासचिव सीपी मालवीय, उपाध्यक्ष ओमप्रकाश, संगठन सचिव उमेश सिंह, बामनराव आकोटकर, एमएल राय, एनपी आर्या, हरिश्चन्द्र बडगैया, वाइके त्रिपाठी, ढोलक मास्टर अरविंद व जयप्रकाश आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। अभी तक ये मंडल 707 सुंदरकांड के आयोजन कर चुका है। वर्ष में हनुमान जयंती और जन्माष्टमी पर बड़े आयोजन किए जाते हैं।
अध्यक्ष चन्द्रमोहन साहू बताते हैं कि वर्तमान समय में घर के सदस्यों का बाहर काम करने, खाने-पीने में कुछ न कुछ ऐसा हो जाता है, जो नहीं होना चाहिए। सुंदरकांड के पाठ से घर से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इससे परिवार के सदस्यों व आसपास के लोगों में सौहार्द बढ़ता है। ऐसी मान्यता है कि जहां भगवान श्रीराम का नाम लिया जाता है, वहां हनुमानजी पहुंच जाते हैं और भक्तों के संकट का निवारण करते हैं।
निशुल्क करते आयोजन
धर्म का प्रचार-प्रचार कर रहे ये रामानुरागी लोग आयोजन के लिए शुल्क नहीं वसूलते। यदि कोई आयोजक कुछ श्रद्धापूर्वक प्रदान भी करता है तो वहीं उसी कार्य में लगा दिया जाता है। सुंदरकांड का आयोजन कराने वाले को मंडल की तरफ से श्रीराम दरबार, श्रीराम दुपट्टा, सुंदरकांड और धन्यवाद पत्र प्रदान किया जाता है। इससे आयोजक भी खुशी व सम्मान का अनुभव करता है।
धर्म का प्रचार-प्रचार कर रहे ये रामानुरागी लोग आयोजन के लिए शुल्क नहीं वसूलते। यदि कोई आयोजक कुछ श्रद्धापूर्वक प्रदान भी करता है तो वहीं उसी कार्य में लगा दिया जाता है। सुंदरकांड का आयोजन कराने वाले को मंडल की तरफ से श्रीराम दरबार, श्रीराम दुपट्टा, सुंदरकांड और धन्यवाद पत्र प्रदान किया जाता है। इससे आयोजक भी खुशी व सम्मान का अनुभव करता है।