भोपालPublished: Jul 02, 2022 07:32:22 pm
Roopesh Kumar Mishra
जानकार बता रहे हैं दिग्विजय सिंह को एक विशेष रणनीति के तहत पार्टी ने निकाय चुनावों में असक्रिय कर रखा है। दरअसल दिग्विजय ऐसे मौकों पर कोई न कोई बयान देकर चर्चाओं में आ ही जाते हैं। इसलिए इस चुनावी दौर में कांग्रेस पार्टी ऐसा कोई भी मौका विपक्ष के हाथ नहीं देना चाहती जिससे पार्टी के विपक्ष में कोई माहौल बने।
सूबे में निकाय चुनाव को लेकर जहां एक ओर सियासी तपिश परवान पर है। तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की गैरमौजूदगी अब सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल अमूमन ऐसा बहुत कम होता है जब सूबे में सियासी पारा गरम हो और उसमें दिग्विजय सिंह का कोई अहम किरदार न हो। बल्कि दिग्विजय ऐसे मौके पर अक्सर अपने तीखे बयानों के चलते सूर्खियों में भी बने रहते हैं। लेकिन इस बार के निकाय चुनावों में दिग्विजय सिंह कोई खास सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं।
पार्टी की रणनीति के तहत चुप हैं दिग्गी राजा
जानकार बता रहे हैं दिग्विजय सिंह को एक विशेष रणनीति के तहत पार्टी ने निकाय चुनावों में असक्रिय कर रखा है। दरअसल दिग्विजय ऐसे मौकों पर कोई न कोई बयान देकर चर्चाओं में आ ही जाते हैं। इसलिए इस चुनावी दौर में कांग्रेस पार्टी ऐसा कोई भी मौका विपक्ष के हाथ नहीं देना चाहती जिससे पार्टी के विपक्ष में कोई माहौल बने। लिहाजा एक विशेष रणनीति के तहत दिग्विजय सिंह को पर्दें के पीछे जबकि कमलनाथ और फ्रंटफुट पर रखा गया है।
भाजपा हो नहीं मिल रहा कोई मौका
अमूमन ऐसा देखा जाता है कि जब दिग्विजय सिंह ज्यादा चुनावों में सक्रिय होते हैं। तब भाजपा प्रदेश के सभी अन्य नेताओँ को छोड़कर सीधे दिग्विजय सिंह पर सीधा अटैक करती है। क्योंकि दिग्गी हमेशा से ही चर्चाओं में रहे हैं। ऐसे में इस बार के चुनावों में भाजपा को भी दिग्विजय सिंह की गैरमौजूदगी बेहद खलने लगी है। क्योंकि भाजपा को कोई बड़ा मौका या कोई ऐसा बयान हाथ नहीं लग पा रहा है।