दिल्ली-आगरा ट्रैक 160 किमी की रफ्तार का है, इस पर ट्रेन 200 किमी का सफर ढाई से तीन घंटे में पूरा करती है। इसके आगे आगरा-झांसी ट्रैक 120 से 130 किमी रफ्तार की क्षमता वाला है। इससे 200 किमी के सफर में ट्रेनें 4 घंटे से ज्यादा समय लेती हैं। इस दरमियान धौलपुर, मुरैना में चंबल के तपते बीहड़ आते हैं। यहां का तापमान 47 डिग्री से अधिक होने से एसी कोच दम तोडऩे लगते हैं।
ट्रेन जब तक ग्वालियर, झांसी पहुंचती है, तब तक हालत और खराब हो जाती है। इसकी शिकायतों की सुनवाई ग्वालियर, झांसी और बीना जैसे बड़े स्टेशनों पर नहीं होती। विशेषज्ञों के मुताबिक एसी कोच 40 से 42 डिग्री तापमान के बीच ही सही कूलिंग करते हैं।
तकनीशियनों की दो टीमें संभालती हैं जिम्मा
एसी कोचों को दुरुस्त करने के लिए भोपाल स्टेशन पर तकनीशियनों की दो टीमें लगाई गई हैं। हाल ही में दादर-अमृतसर एक्सप्रेस के एसी कोच की कूलिंग कम होने पर जनरेटर बदला गया था। रविवार को एपी एक्सप्रेस में दूसरी ट्रेन का जनरेटर लगाया गया। गौरतलब है कि कोच के एसी की रिपेयरिंग आसान नहीं है। इसमें काफी समय लगता है। ऐसे में ट्रेनें देरी से रवाना होती है। डीआरएम के निर्देेश पर स्टेशन पर दो टीमों की तैनाती की गई है।
पुराने कोच कर रहे परेशान, प्लांट में जम रही बर्फ
शताब्दी के कोच पुराने हो चुके हैं, इस वजह से कुछ कोच के एसी प्लांट में बर्फ जम जाती है। एपी एक्सप्रेस में तकनीकी खामी भी है। इसकी कपलिंग सिर्फ आंध्र के कोचों से ही मैच करती है। ऐसे में एक ही विकल्प है कि एसी की कूलिंग को बढ़ाया जाए। फिलहाल दिल्ली से आने वाली ट्रेनों में शताब्दी को छोड़कर अन्य शाम चार बजे के बाद भोपाल पहुंच रही हैं। यहां कोचों की कूलिंग सही कर आगे रवाना किया जाता है। रात में कोच में कूलिंग बेहतर रहती है। जनरेटर में खराबी के कारण ही कूलिंग प्रभावित होती है।
इन ट्रेनों में आई समस्या
शताब्दी एक्सप्रेस, गोंडवाना एक्सप्रेस, भोपाल-जयपुर, एपी एक्सप्रेस, हुजूर साहेब-नांदेड़, पठानकोट एक्सप्रेस
तापमान बढऩे पर एसी कोचों की कूलिंग कम हो रही है। भोपाल में तकनीशियनों की टीम तैयार की गई है। भोपाल से पहले के स्टेशनों से शिकायत मिलने के बाद एसी कोच की कूलिंग सही की जाती है।
आईए सिद्दीकी, जनसंपर्क अधिकारी, भोपाल मंडल