याचिकाकर्ता रेहटी निवासी मनोहर गुप्ता पिता बीएल गुप्ता ने यह परिवाद लगाते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कहे कथन पर आपत्ति ली और उनके विरुद्ध यह परिवाद दायर किया था। दरअसल, पहले उन्होंने बुदनी के जेएमएफसी कोर्ट में परिवाद लगाया जहां न्यायालय ने इसे रिजेक्ट कर दिया।
इसके बाद अस्वीकृत परिवाद का नसरुल्लागंज के प्रथम अपर सत्र न्यायालय में रिवीजन लगाया गया। नसरुल्लागंज के वरिष्ठ अधिवक्ता डीपी तिवारी ने बताया कि आज इसकी सुनवाई में प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश रईस खान ने इसे स्वीकृत कर लिया। न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को १६ जनवरी को उपस्थित होने का समन जारी किया गया है।
ये है मामला
गौरतलब हैकि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान महात्मा गांधी को एक चतुर बनिया बताया था। इधर, रिश्वतखोर लेखापाल को चार साल का कारावास :-
रिटायर्ड शिक्षक से सेवा अवधि में संरक्षित अवकाश नकदीकरण की राशि निकालने के लिए रिश्वत लेने वाले लेखापाल को सीहोर जिला कोर्ट से चार साल की सजा और 15 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई गई। करीब तीन साल से कोर्ट में चल रहे प्रकरण में यह फैसला विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अनिता वाजपेयी ने सुनाया। लोकायुक्त पुलिस ने लेखापाल को तीन हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था।
लोक अभियोजक देवेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि हेमराज परमार शासकीय मूंडला कला से प्रधान अध्यापक के पद से फरवरी २०१४ में सेवानिवृत्त हुए थे। उसकी सेवा अवधि में संरक्षित अवकाश नकदीकरण की राशि महारानी लक्ष्मी बाई कन्या उमावि सीहोर से निकाली जानी थी। एमएलबी स्कूल में पदस्थ चाणक्यपुरी निवासी लेखापाल नारायण प्रसाद पिता गजधर प्रसाद मैथिल भुगतान के बिल, बाउचर टे्रजरी में लगाने रिश्वत की मांग कर रहा था।
आरोपी ने एक लाख 30 रुपए देने पर ही काम करने की बात कही गई थी। हेमराज ने यह राशि नहीं देना चाहता था। उसने रिश्वत बगैर ही काम करने की बात कहीं, लेकिन लेखापाल मानने को तैयार नहीं हुआ। मजबूरी में परेशान होकर हेमराज ने 26 अगस्त 2014 को लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक को शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के आधार पर लोकायुक्त पुलिस २७ अगस्त 2014 को एमएलबी स्कूल पहुंची। यहां लेखापाल नारायणप्रसाद को हेमराज से तीन हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। इसके बाद चालान कोर्ट में पेश किया गया। न्यायालय में शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई हुई।
न्यायाधीश अनिता बाजपेयी ने ने गवाहों को सुनने और सभी साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद फैसला सुनाया। इसमें आरोपी नारायण प्रसाद मैथिल को दोषी पाते हुए भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा सात में तीन साल का कारावास और पांच हजार रुपए तथा धारा 13 (1) (डी) में चार साल का कारावास और दस हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित कर जेल भेज दिया।