भोपाल

एसिड बना किरदार, कहा- समाज मेरा दुरुपयोग करता है इसलिए खुद को खत्म कर रहा हूं

– शहीद भवन में दो दिवसीय नाट्य समारोह की शुरुआत
 

भोपालSep 11, 2018 / 08:54 pm

hitesh sharma

एसिड बना किरदार, कहा- समाज मेरा दुरुपयोग करता है इसलिए खुद को खत्म कर रहा हूं

भोपाल। हम थिएटर गु्रप की 71 दिवसीय नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन अवसर पर सोमवार को शहीद भवन में दो दिवसीय नाट्य समारोह का शुभारंभ हुआ। पहले दिन दो नाट्य व दो नृत्य प्रस्तुतियां हुईं। पहली नाट्य प्रस्तुति ‘एसिड अटैक’ रही। इसके बाद निधि बर्मन ने कथक और मनीष रायकवार व सिमरन बहल ने भरतनाट्यम नृत्य की प्रस्तुति दी।

इसके बाद नाटक ‘आजाद’ का मंचन किया गया। दोनों नाट्य प्रस्तुतियों का निर्देशन बालेन्द्र सिंह ‘बालू’ ने किया। नाटक ‘एसिड अटैक’ के बारे में बालेन्द्र ने बताया कि वर्ष 2016 में महिला दिवस पर समन्वय भवन में यह नाटक किया जा चुका है। इसके लिए एसिड पीडि़त महिलाओं से बात की जिसमें उन्होंने एसिड अटैक के पीछे के कारण बताए। उन्हीं कारणों को आधार बनाकर यह नाटक तैयार किया गया। वहीं नाटक ‘आजाद’ के बालेन्द्र 1800 से अधिक नुक्कड़ नाटक कर चुके हैं, पहली बार यह स्टेज पर किया गया।
नाटक – एसिड अटैक
लेखक – साक्षी जैन, निर्देशन – बालेन्द्र सिंह ‘बालू

अवधि – 30 मिनट
कथासार : नाटक में एसिड और जिन तत्वों (हाइड्रोजन, सल्फर, ऑक्सीजन) से वो तैयार होता है उसे कैरेक्टर के रूप में दिखाया गया। एसिड अपने आप पर शर्मिंदा है और खुद को मारने की कोशिश करता है। तीनों तत्व उसे रोकते हैं और कारण पूछते हैं। एसिड बताता है कि मुझे लगा कि मैं समाज के गंदगी हटाने के काम आऊंगा लेकिन मेरा दुरुपयोग हो रहा है। मुझे एक दूसरे को मारने में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके बाद एसिड अपने दुरुपयोग की कहानी बताना शुरू करता है।
जिसमें डायरेक्टर ने समाज में एसिड अटैक से होने वाली घटनाओं को मंच पर दिखाया। पहली कहानी एक पिता की है जो तीन बेटी के बाद लड़के की उम्मीद लगाए बैठा होता है। लेकिन लड़की होने पर वो बच्ची पर एसिड डालकर उसे मार देता है। एसिड के तत्व इस घटना को देखकर कहते हैं कि यह देखकर हमारा दिल पसीज गया इंसान क्या पत्थर के बने हैं।
दूसरी कहानी एक लड़की की है जिस पर कुछ मनचले एसिड फेंक देते हैं। समाज पीडि़ता से कहता है कि तुम्हारा यहां कोई काम नहीं तुम्हें तो सुसाइड कर लेना चाहिए। लेकिन लड़की तय करती है मैं नहीं मरुंगी, अपने जैसे लोगों की ताकत बनूंगी। इसके जरिए नारी की हिम्मत, हौसले और स्वावलंबन की मिसाल को पेश किया गया। नाटक का अंत ‘मैं हूं मेरी खुद की ताकत, खुद की जिम्मेदारी हूं, न मैं कमजोर हूं, न ही अबला हूं, मैं हिम्मत वाली नारी हूं..’ गीत के साथ होता है।
 

नाटक – आजाद

लेखक – रंचना चितले, निर्देशन – बालेन्द्र सिंह ‘बालू’
अवधि – 30 मिनट

कथासार : क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के जीवन पर केंद्रित इस आधे घंटे के नाटक में दर्शक उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं से रूबरू हुए। नाटक की शुरुआत देशभक्ति गीत से होती है। इसके बाद कोर्ट सीन दिखाया जाता है जहां उन्हें 15 कोड़ो की सजा होती है। नाटक के अंत में युवा को देश के लिए आगे आने का आह्वान इन पक्तिंयों के साथ किया- अभी भी जिसका खून ना खौले, खून नहीं वो पानी है। जो देश के काम ना आए वो बेकार जवानी है।
drama in shaheed bhawan
काहे छेड़ छेड़ मोहे… से दिखाया कृष्ण रास
कार्यक्रम के दौरान शास्त्रीय नृत्य की भी मनभावन प्रस्तुति दी गई जिसमें निधी बर्मन द्वारा रेड एंड ग्रीन ड्रेस में कथक नृत्य की बेहतरीन परफार्मेंस ने दर्शकों की खूब तालियां बंटौरी। एक ताल में कृष्ण रास फार्म में की गई इस प्रस्तुति के बाद सिमरन द्वारा भरतनाट्यम पर मनभावन परफार्मेंस देकर दर्शकों का दिल जीत लिया।
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