प्राप्त जानकारी के अनुसार 13 मार्च को हरदा की शुक्ला कॉलोनी निवासी सुनीता पत्नी विशाल चौरसिया को प्रसव पीड़ा के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सुनीता की स्थिति सामान्य होने के बाद भी डॉक्टरों ने उसकी सिजेरियन डिलेवरी कराई। डिलेवरी के पहले अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ की लापरवाही सुनीता की जान पर भारी पड गई। निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ.राजेश मिथोरिया शराब पीकर ऑपरेशन थिएटर में पहुंचे और सुनीता को गलत इंजेक्शन लगा दिया। इसके बाद सुनीता की मौत हो गई। प्रसूता की मौत के बाद आक्रोशित परिवार जनों ने हरदा में पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। दूसरे दिन हमीदिया अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया। सुनीता के पति विशाल चौरसिया ने मामले की शिकायत कलेक्टर सहित शासन के आला अधिकारियों से की।
इसके बाद शासन द्वारा कराई गई मजिस्ट्रियल जांच में डॉक्टरों और स्टाफ की गंभीर लापरवाही सामने आई है। इस मामले में निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. राजेश मिथोरिया व महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. भारती शिवहरे को निलंबित किया था। सिविल सर्जन डॉ. एसके सेंगर ने भी इसी मामले में स्टाफ नर्स वंदना मसीह, चित्रा चौरे व नीता टीकारे को भी निलंबित किया गया था। वहीं सीएमएचओ डॉ. प्रदीप मोजेश ने संविदा स्टाफ नर्स मनीषा सुजाने की संविदा समाप्त कर नौकरी से हटा दिया था।
शराबियों की निगरानी के साथ सिजेरियन के संबंध में निर्देश
स्वास्थ्य संचालनालय के संयुक्त संचालक (अस्पताल प्रशासन) ने सभी सीएमएचओ व सिविल सर्जन को भेजे आदेश में लिखा है कि ड्यूटी के दौरान नशा करने वाले डॉक्टरों और कर्मचारियों की निगरानी कर कार्रवाई करें। सरकारी अस्पतालों में भर्ती गर्भवती महिलाओं की सिजेरियन डिलेवरी प्रोटोकॉल के अनुसार की जाए। सरकारी अस्पतालों के पैरामेडिकल स्टाफ को भी ये निर्देश दिए गए हैं कि डॉक्टर की सलाह के बिना दिए गए उपचार की पूरी जानकारी मरीज की केस शीट में दर्ज की जाए।