भोपाल

सांसद के इस सपने के गांव की हकीकत है डरावनी

पानी के लिए हैंडपंप पर कतार, सड़क-शिक्षा और स्वास्थ्य भी खराब

भोपालFeb 16, 2019 / 01:10 am

dinesh Binole

mp village hardua

रीवा. भाजपा सांसद और तत्कालीन विधायक के वर्चस्व की लड़ाई में उलझा हरदुआ गांव बदहाल ही रह गया। विवादों के बीच पानी की टंकी का निर्माण तो हो गया, लेकिन पाइपलाइन नहीं बिछाए जाने से लोगों को अभी भी घर-घर पानी पहुंचने का इंतजार है। गांव में कुछ हैंडपंप हैं, जहां पानी के लिए लोगों को सुबह-शाम कतार लगानी पड़ती है। सड़कों की भी जस की तस है। बरसात में लोगों के घर तक वाहन नहीं पहुंच पाते। इन सबके बीच कुछ काम भी हुए हैं। तालाब का उन्नयन करने के साथ ही खेल मैदान भी बनाया गया है। सोलर लाइट भी गांव में लगाई गई है। हालांकि मूलभूत सुविधाओं में अस्पताल की कमी खल रही है। एएनएम के भरोसे पूरी व्यवस्था है।
सेमरिया तहसील का हरदुआ गांव सबसे बड़े गांवों में से एक है। चार साल पहले सांसद जनार्दन मिश्रा ने इसे गोद लिया था। इसे प्रदेश का सबसे बेहतर आदर्श गांव बनाने के दावा किया गया था। हालांकि बाद में सांसद ने तत्कालीन सेमरिया विधायक नीलम मिश्रा पर काम में रोड़े अटकाने के आरोप लगाए। दोनों भाजपा के ही थे और लोगों को बड़ी उम्मीदें थी, लेकिन प्रतिद्वंद्विता में उनकी अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पाईं।
 

सड़कों पर ही नहाने को मजबूर महिलाएं
घरों तक नल-जल सुविधा नहीं पहुंचने से पानी लेने दूर तक जाना पड़ता है। महिलाएं भी हैंडपंपों के नजदीक सड़क पर ही नहाने को मजबूर हैं। महिलाओं का कहना है कि चाहती तो वह भी नहीं कि सड़क पर नहाएं, पर सबके लिए पानी ढोया नहीं जा सकता।
गांव में हाइस्कूल तक की ही पढ़ाई
गांव में हाइस्कूल है। पर, पढ़ाई का स्तर बहुत ही कमजोर है। शिक्षक सिर्फ नौकरी पूरी करने के लिए सुबह से शाम तक ड्यूटी करते हैं। 11वीं से पढ़ाई के लिए सेमरिया या रीवा ही सहारा होता है। मध्याह्न भोजन की व्यवस्था भी अब तक नहीं सुधर पाई है। कई बार ग्रामीण कलेक्टर से शिकायत कर चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि न तो पढ़ाई का स्तर सुधरा है और न ही मध्याह्न भोजन व्यवस्था। हरदुआ में आवारा मवेशी सबसे बड़ी समस्या हैं। खेतों में ये फसलें नष्ट कर रहे हैं तो सड़कों पर भी डेरा जमाए रहते हैं। स्कूल परिसर इनका ठिकाना है।
 

राशन वितरण में बड़ी विसंगति
उचित मूल्य की दुकान से वितरित होने वाले राशन को लेकर भी बड़ी समस्या है। सैकड़ों की संख्या में हर महीने लोग सस्ता अनाज पाने से वंचित हो जाते हैं। मूलभूत समस्याओं का हल तो आगे चलकर होने की संभावनाएं हैं, लेकिन आदर्श गांव के लिए लोगों में जागरूकता कायम नहीं की जा सकी है। समाज की कुरीतियां पहले की तरह ही बनी हैं। मादक पदार्थों की बिक्री तेज हो गई है।
 

आदर्श गांव बनने से तेजी के साथ विकास हुआ है। करीब सवा करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है। सांसद ने 65 लाख से अधिक की राशि मुहैया कराई है। मूलभूत सुविधाएं तो दे रहे हैं, अभी सड़क-नाली सहित अन्य जरूरतों को पूरा करना है। लोगों की सोच जरूर हम नहीं बदल पा रहे हैं।
रामसिंह, सरपंच हरदुआ
गांव को आदर्श बनाने के दावे तो किए गए थे, लेकिन बाद में नेताओं द्वारा आरोप-प्रत्यारोप शुरू हुआ। इससे गांव का विकास अवरुद्ध हो गया। जिस तरह से गांव को समय देना चाहिए, सांसदजी नहीं दे पाए। कई बार आए जरूर लेकिन भाषण देकर चले गए।
रमाधार सिंह, स्थानीय निवासी
 

उपचार के लिए सेमरिया या फिर रीवा जाना पड़ता है। शिक्षा की कोई बेहतर व्यवस्था दे नहीं पाए। आवारा पशु पूरी खेती चट कर जाते हैं। शुरुआत में लगा था कि हम जहां भी बताएंगे कि आदर्श गांव के रहने वाले हैं तो लोग सम्मान देंगे लेकिन बदहाली ही इसकी पहचान हो गई है।
रामू आदिवासी, स्थानीय निवासी

पानी की टंकी खड़ी है, सप्लाई नहीं होती। लोगों के घरों के एक या दो लोग तो पूरे दिन पानी ढोने में लगा देते हैं। कुछ जगह शौचालय बनाए थे, जो खराब हो गए हैं तो खुले में भी शौच के लिए लोग जा रहे हैं। अब भी इसे नए सिरे से विकसित करने की जरूरत है।
रामचरण साकेत, स्थानीय निवासी

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