शिकायतों के चलते लिया गया था फैसला
आपो बता दें कि, केंद्र सरकार ने के सामने इस बात की कई शिकायतें पहुंच रही थीं, कि कई लोगों के एक ही नाम से कई ड्राइविंग लाइसेंस बने हुए हैं। जिसे गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने सभी केंद्र शासित राज्यों को यह निर्देश दिए थे कि, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए भी आधार को अनिवार्य करवाया जाए। इससे एक व्यक्ति एक ही ड्राइविंग लायसेंस का इस्तेमाल कर सकेगा। जिससे परिवहन धोखाधड़ी के कई मामले होना बंद हो जाएंगे। आधार नंबर के बॉयोमेट्रिक्स डीटेल से इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगेगी। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन कर आधार कार्ड को आईडी प्रूफ मार्च 2018 महीने में ही निर्देश दे चुका है, लेकिन प्रदेश में जिला परिवहन अधिकारी (आरटीओ) अब तक इसे मान्य नहीं कर रहे थे, जिसके चलते अनियमित्ताओं से जुड़े कई मामले सामने आ रहे थे।
अब दो साल तक मान्य रहेगा कमर्शियल वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट
इधर, परिवहन मंत्रालय कमर्शियल वाहनों की फिटनेस जांच और लोडिंग वाहनों के लिए नेशनल परमिट के नियमों में भी बदलाव करने की तैयारी कर चुका है। इसके तहत अब नए कमर्शियल वाहनों को दो साल के लिए फिटनेस की प्रमाणिकता दी जाएगी। यह प्रमाणिकता कमर्शियल वाहन को आठ साल तक दी जाएगी। यानि चार बार एक कमर्शियल वाहन का फिटनेस टेस्ट होगा। वहीं नेशनल परमिट के लिए ट्रक समेत अन्य वाहनों को जीपीएस सिस्टम और फास्टैग लगाना अनिवार्य किया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय हाल ही में ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर चुका है। फिलहाल, तीस साल पुराने इस नियम के अनुसार अभी फिटनेस सर्टिफिकेट हर वाहन को लेना होता है और वाहन की जांच के बाद एक साल के लिए ही फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाता है। इसमें वाहन मालिकों को हर साल एक ही प्रोसेस को फॉलो करना होता है, इसी से राहत दिलाते हुए परिवहन विभाग ने इस फैसले पर अमल करने का नोटिफिकेशन जारी किया है।