दरअसल पहले माना जा रहा था कि अब सभी का शिक्षा विभाग में संविलियन कर दिया जाएगा, परंतु बाद में यह बात सामने आती रही कि एक नया संवर्ग बनाया जा रहा है, जिसमें पदनाम शिक्षा विभाग के पदमानों से मिलते जुलते होंगे। ऐसे में जहां एक ओर इसे लेकर अफवाहों का दौर जारी था वहीं दूसरी ओर अध्यापक सरकार की तरफ से आधिकारिक सूचनाओं का इंतजार कर रहे थे।
इस बीच एक ओर बात सामने आई थी कि 13 जुलाई को सीएम शिवराज सिंह संविलियन आदेश जारी करने वाले हैं। इसी दिन अध्यापकों की ओर से उनका सम्मान किया जाएगा, परंतु फिर ऐसा भी कोई आदेश या कार्य नहीं हुआ। जिसके चलते 13 जुलाई सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक अध्यापकों द्वारा आदेश का इंतजार किया जाता रहा।
वहीं कहा जा रहा है कि आजाद अध्यापक संघ का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को मुख्यमंत्री से मिला जहां पर मुख्यमंत्री ने संघ की मांगे मान ली। कहा ये भी जा रहा है कि अध्यापकों की सभी मांगें मान लीं गईं हैं और इनके आदेश 31 जुलाई तक जारी हो जाएंगे। सीएम से मिलने वाले प्रतिनिधि मंडल में भरत पटेल प्रांताध्यक्ष, जावेद खान महासचिव, अजय बख्शी उपाध्यक्ष, रमेन्द्र राजावत संगठन मंत्री, संतोष सोनी मंडला जिलाध्यक्ष, देवेंद्र दीक्षित डिंडोरी जिलाध्यक्ष सुजीत व्यवहार,ज्योत सिंह धुर्वे आदि शामिल थे।
गौरतलब है कि सीएम शिवराज सिंह ने खुद ऐलान किया था कि अध्यापक अब शिक्षा विभाग के कर्मचारी होंगे लेकिन बाद में राज्य शिक्षा सेवा को मंजूरी दे दी गई। इस तरह सरकार ने अध्यापकों को तीसरी बार नया पदनाम दे दिया अध्यापकों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था और एक बार फिर विरोध की बातें शुरू हो गईं थीं पिछले बीस साल से आंदोलनरत अध्यापकों को इस बार सरकार से बड़ी उम्मीद थी शिक्षा विभाग की मांग की जा रही थी, जिससे अध्यापकों को बीमा, पेंशन, तबादला व शिक्षक संवर्ग के समान अन्य सुविधाएं मिलतीं, लेकिन सरकार ने राज्य शिक्षा सेवा का गठन कर दिया।
दुविधा में अध्यापक…
हर रोज समाने आ रही नई नई बातों को लेकर दन दिनों मध्यप्रदेश के करीब 2.8लाख अध्यापक काफी कंफ्यूज हैं। दरअसल एक ओर जहां अब तक आदेश जारी नहीं हुए वहीं दूसरी ओर सीएम शिवराज सिंह के लगातार चलने वाली चुनावी दौरे शुरू हो गए हैं।
हर रोज समाने आ रही नई नई बातों को लेकर दन दिनों मध्यप्रदेश के करीब 2.8लाख अध्यापक काफी कंफ्यूज हैं। दरअसल एक ओर जहां अब तक आदेश जारी नहीं हुए वहीं दूसरी ओर सीएम शिवराज सिंह के लगातार चलने वाली चुनावी दौरे शुरू हो गए हैं।
ऐसे में जानकारों का मानना है कि अब उम्मीद कम ही है कि कोई आदेश जारी होगा। ऐसी स्थिति में अध्यापक एक नई दुविधा में फंस गए हैं कि अब वे क्या करें, क्या पहले की तरह शिवराज सिंह सरकार के खुला विरोध का मार्ग ठीक रहेगा या कुछ और…। कुल मिलाकर अब कोई धरना, रैली या हड़ताल या फिर अभी और इंतजार करना चाहिए इसे लेकर अध्यापक कंफ्यूज बने हुए हैं। ऐसे में अभी शांत बने हुए हैं कम से कम विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने तक।