भोपाल

यूनियन कार्बाइड के जहरीले तालाबों तक पहुंचा प्रशासन, जेसीबी से नष्ट कराए जा रहे सिंघाड़े

– गैस पीडि़त संगठनों के लगातार विरोध के बाद प्रशासन ने तैयार कराई रिपोर्ट, सिंघाड़ों की खेती करने वालों पर की धारा-151 में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई

भोपालOct 19, 2021 / 10:00 pm

प्रवेंद्र तोमर

गैस पीडि़त संगठनों के लगातार विरोध के बाद प्रशासन ने तैयार कराई रिपोर्ट, सिंघाड़ों की खेती करने वालों पर की धारा-151 में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई

भोपाल. यूनियन कार्बाइड से निकले जहरीले कचरे को नष्ट करने के लिए बनाए गए तालाबों में सिंघाड़े की खेती हो रही है। कई दिनों से गैस पीडि़त संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। इसके बाद जिला प्रशासन ने इसकी रिपोर्ट तैयार कराई और मंगलवार को कार्रवाई करने पहुंच गए। इन तालाबों को 1978 में पन्नी बिछाकर बनाया गया था। हादसे के बाद हुई कई जांचों में इनमें 1.7 लाख टन जहरीला कचरा डाले जाने की पुष्टि भी हो चुकी थी। इसके बाद भी यहां पर कुछ लोग मिलीभगत से करीब आठ एकड़ में फैले तालाबों में सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं। 17 वैज्ञानिक रिपोर्ट में भी इन तालाबों में कीटनाशक, जहरीले रसायन डाले जाने की पुष्टि की जा चुकी है। एसडीएम गोविंदपुरा मनोज वर्मा और उनकी टीम ने मौके पर पहुंचकर जेसीबी की मदद से सिंघाड़े की खेती को नष्ट कराने की कार्रवाई शुरू करा दी है। एसडीएम ने बताया कि सिंघाड़े की अवैध खेती करने वाले संतोष रैकवार, आनंद ठाकुर, दीपक रैकवार, सतीश रिछारिया पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की है। अब ये मामला एसडीएम कोर्ट में चलेगा। इसमें शांति भंग का भी खतरा है। पत्रिका ने अपने अंकों में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया, इसके बाद ही कार्रवाई की गई ।
एसडीएम ने बताया कि खेती करने वाले संतोष रैकवार, आनंद ठाकुर, दीपक रैकवार ने अपने बयान में बताया है कि कर्तिक शर्मा, अतुल शर्मा के चौकीदार सतीश शर्मा से मौखिक तालाब लिया था। इसके बदले सालान 20 हजार रुपए चुका रहे थे। वहीं गैस पीडि़त संगठनों की तरफ से रचना ढींगरा का कहना है कि सिंघाड़े की खेती को रोका नहीं गया तो इससे लोगों को दिक्कत हो सकती है। लोगों को सिंघाड़ा खरीदने से पहले पूछताछ करना चाहिए कि वो ये कहां से ला रहे हैं। भोपाल ग्रुप फॉर इंफोर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढिंगरा, भोपाल गैस पीडि़त महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा शहजादी और भोपाल गैस पीडि़त महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ राशिदा बी का कहना है कि इस संबंध में कई बार शिकायत कर चुके थे।
उद्योग विभाग की जमीन पर बने हैं तालाब
यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री परिसर में रासायनिक कचरे को डंप करने के लिए 21 साइटों के अलावा तीन तालाब भी बनाए थे। ये पूरा परिसर उद्योग विभाग के पास है, लेकिन विवाद के चलते वे इस तरफ देखते भी नहीं हैं। गैस कांड वर्ष 1984 तक इसमें कई पशुओं की मौत हुई, अगर उसी समय जिम्मेदार इस मामले को गंभीरता से लेकर जांच करते तो शायद ये नौबत नहीं आती। माना की वर्षों से उसमें जहरीला कचरा नहीं मिला, लेकिन नीचे जमा केमिकल, पारा। सिंघाड़े की खेती को विषेला बना रहा है। इन सिंघाड़ों को लोग वर्षों से खा रहे हैं। धीमा जहर उनके शरीर में जा रहा होगा।
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