एसडीएम ने बताया कि खेती करने वाले संतोष रैकवार, आनंद ठाकुर, दीपक रैकवार ने अपने बयान में बताया है कि कर्तिक शर्मा, अतुल शर्मा के चौकीदार सतीश शर्मा से मौखिक तालाब लिया था। इसके बदले सालान 20 हजार रुपए चुका रहे थे। वहीं गैस पीडि़त संगठनों की तरफ से रचना ढींगरा का कहना है कि सिंघाड़े की खेती को रोका नहीं गया तो इससे लोगों को दिक्कत हो सकती है। लोगों को सिंघाड़ा खरीदने से पहले पूछताछ करना चाहिए कि वो ये कहां से ला रहे हैं। भोपाल ग्रुप फॉर इंफोर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढिंगरा, भोपाल गैस पीडि़त महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा शहजादी और भोपाल गैस पीडि़त महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ राशिदा बी का कहना है कि इस संबंध में कई बार शिकायत कर चुके थे।
उद्योग विभाग की जमीन पर बने हैं तालाब
उद्योग विभाग की जमीन पर बने हैं तालाब
यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री परिसर में रासायनिक कचरे को डंप करने के लिए 21 साइटों के अलावा तीन तालाब भी बनाए थे। ये पूरा परिसर उद्योग विभाग के पास है, लेकिन विवाद के चलते वे इस तरफ देखते भी नहीं हैं। गैस कांड वर्ष 1984 तक इसमें कई पशुओं की मौत हुई, अगर उसी समय जिम्मेदार इस मामले को गंभीरता से लेकर जांच करते तो शायद ये नौबत नहीं आती। माना की वर्षों से उसमें जहरीला कचरा नहीं मिला, लेकिन नीचे जमा केमिकल, पारा। सिंघाड़े की खेती को विषेला बना रहा है। इन सिंघाड़ों को लोग वर्षों से खा रहे हैं। धीमा जहर उनके शरीर में जा रहा होगा।