विधायकों को भेजी गई गाइडलाइन में कहा गया है कि सदन में ऐसे किसी विषय पर चर्चा नहीं होगी जो मामले कोर्ट में चल रहे हों। किसी भी सदस्य के खिलाफ व्यक्तिगत आरोप, दोषारोपण नहीं किया जा सकेगा। विधायकों को सलाह दी गई है कि वे चर्चा के दौरान संसद या किसी राज्य विधान मण्डल की कार्यवाही के संचालन के विषय में आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग न करें। सदन में यदि कोई प्रस्ताव रद्द होता है तो उसको छोड़कर अन्य प्रकार के आरोप नहीं लगाए जा सकेगें। उच्च पद वाले व्यक्तियों के आचरण पर आरोप नहीं लगाएगा। ऐसे किसी व्यक्ति के बारे में चर्चा के पहले पूर्व अनुमति जरूरी है।
सत्र के दौरान प्रशिक्षण की तैयारी – विधानसभा सचिवालय की तैयारी मानसून सत्र के दौरान विधायकों को प्रशिक्षण दिया जाए। इसे प्रबोधन कार्यक्रम नाम दिया गया है। इसमें वरिष्ठ विधायकों सहित संसदीय विशेषज्ञ विशेष वक्ता के तौर पर रहेंगे। प्रयास है कि लोकसभा अध्यक्ष इस कार्यक्रम में शामिल होकर विधायकों का मार्गदर्शन दें।
हंगामा कम काज ज्यादा का प्रयास – सदन की कार्यवाही में हंगामा न हो इसके लिए प्रयास अभी से शुरू हो गए हैं। इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने एक समिति का गठन किया है। समिति में पूर्व विधानसभा अध्यक्षों सहित वरिष्ठ विधायक शामिल हैं। सदन और विधायकों के मामले में इनकी राय अहम होगी।