पक्के मकान बनाकर प्रॉपर्टी टैक्स भरने वाले पानी का शुल्क भी देते हैं, जबकि पानी बर्बाद करने व डिफॉल्टर अधिकांशत: बस्ती वाले होते हैं, इनसे कोई शपथ पत्र नहीं भरवाया जा रहा। हालात ये हैं कि बिना एफिडेविट के ढेरों कनेक्शन हो गए। जिम्मेदारों के मुताबिक नल कनेक्शन के लिए शपथपत्र जरूरी है। ऐसे में खुले आम नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। इस क्षेत्र में जलापूर्ति के लिए जितने कनेक्शन देेने की व्यवस्था है उससे सात गुना यहां आवास पहले ही तैयार हैं। जो हाउस टैक्स जमा करते आ रहे हैं।
जवाब देने से बच रहे हैं जिम्मेदार
इंजीनियर एक तरफ तो यह मान रहे हैं कि केरवा प्रोजेक्ट वर्षों पुराने नगरपालिका के प्रस्ताव के आधार पर तैयार किया गया है, जबकि वर्तमान आबादी तब से कई गुना अधिक बढ़ गई है। पानी के कनेक्शन लेने में हो रही तमाम परेशानियों की हकीकत जानने के लिए पत्रिका संवाददाता गुरुवार को सुबह करीब 11.16 बजे जोन 18 कार्यालय में पहुंचा और वहां मौजूद कर्मचारी से पानी कनेक्शन का फार्म मांगा। कर्मचारी ने कहा कि जहां हाउस टैक्स जमा करते हो, वहां फार्म मिलेगा। संवाददाता ने पूछा कि क्या-क्या लगेगा तो कर्मचारी ने एक कागज पर आवेदन फार्म, 100 रुपए के स्टाम्प पर शपथ पत्र, जमा किए गए प्रॉपटी टैक्स की रसीद व रजिस्ट्री की कॉपी जरूरी बताते हुए लिखकर दिया। बताया गया एफिडेविट जरूरी है।
नगरपालिका के पुराने प्रस्ताव पर केरवा प्रोजेक्ट बनाया गया है, जिसमें कुल 8500 जल कनेक्शन देने का प्रावधान है। इसके बाद जितने भी कनेक्शन मांगे जाएंगे, उनकी व्यवस्था की जाएगी।
-आशीष मार्तंड, प्रभारी इंजीनियर, केरवा प्रोजेक्ट