संघीय विधायिका का ऊपरी भाग संवैधानिक बाध्यता के चलते राज्य हितों की संघीय स्तर पर रक्षा करने वाला बनाया जाता है। इसी सिद्धांत के चलते राज्य सभा का गठन हुआ है। इसी कारण राज्य सभा को सदनों की समानता के रूप में देखा जाता है, जिसका गठन ही संसद के द्वितीय सदन के रूप में हुआ है, लेकिन बाहरी नेता को लाएंगे तो संबंधित राज्य के हितों की रक्षा कैसे हो पाएगी। ये परंपरा बरसों से है कि किसी प्रमुख नेता को राज्यसभा में लाने के लिए उसके पैतृक राज्य के अलावा किसी अन्य राज्य से मदद ली जाती है। ये व्यवस्था किसी प्रमुख नेता के संसद में छूट न जाए, इसके लिए लागू की थी। देश के लिए विजनरी नेता को संसद में लाने के लिए यह व्यवस्था हुई थी, लेकिन अब नेताओं को उपकृत करने के लिए राज्य बदलकर संसद में लाना शुरू किया गया। कोई नेता नाराज है, तो उसे इस तरह उपकृत कर लाने लगे। जिस राज्य से बाहरी नेता को ला रहे हैं, उस राज्य के मूल निवासी नेता का क्या होगा, इसकी कोई व्यवस्था नहीं। इसलिए कोई फार्मूला तय हो कि यदि एक व्यक्ति बाहर से आ रहा है, तो फिर उस राज्य से दूसरे को लाए। मुरूगन का स्वागत है, लेकिन हमारे मध्यप्रदेश में न विधायक जानते न कोई और। केवल ऊपरी आदेश से सब एक साथ खड़े हो गए। इससे राजनीतिक गुणवत्ता का क्या हुआ। ऐसा भी हो सकता है कि कभी बाहर के नेता को सीएम बना दें, ये ठीक नहीं है। ऐसा अपभ्रंश और है कि छह महीने में चुनाव लडक़र आ जाईये तो मंत्री पद नहीं जाएगा। कुर्सी पर बैठकर चुनाव लडऩा आसान होता है। इसलिए ये गलत है। इसी तरह बाहर के नेता के आने से मध्यप्रदेश के नेताओं पर कुठाराघात हुआ है। आईएएस में बाहर के अफसर आते हैं, लेकिन कोटा तय रहता है। ऐसे ही कोटा राजनीति में भी होना चाहिए। राजनीति ज्यादा ही सुविधा ले रही है। नेता ऊपर से थोपे जा रहे हैं। यह ठीक परंपरा नहीं है। तमिलनाडू में मध्यप्रदेश के नेता नहीं जा रहे, तो फिर मध्यप्रदेश कोटे में वहां के नेता क्यों लाए जाए। हम एक है और हमारा देश एक है, लेकिन मध्यप्रदेश के कोटे से बाहर का नेता क्यों जाना चाहिए। मूल निवासी को मौका मिलना चाहिए। वे यदि अपने राज्य में जीतने लायक नहीं है, तो फिर दूसरे राज्य से क्यों संसद में ला रहे। रंग देने से कोई शेर नहीं हो जाता। ये परंपरा बदली जानी चाहिए। मूल निवासी नेताओं को आवाज उठानी चाहिए। मिलकर आवाज उठानी चाहिए।
– भानू चौबे, वरिष्ठ पत्रकार
——————————-
अभी ये मप्र से राज्यसभा सांसद-
भाजपा से-
एमजे अकबर
धर्मेंद्र प्रधान
ज्योतिरादित्य सिंधिया
अजय प्रताप सिंह
सुमेर सिंह सोलंकी
कैलाश सोनी
संपत्तिया उइके।
——
ये कांग्रेस से-
राजमणि पटेल
दिग्विजय सिंह
विवेक तंखा
—————————-
ऐसा है चुनाव का शेड्यूल : वोटिंग 4 को….
राज्यसभा सीट पर चुनाव के लिए 22 सितम्बर तक नामांकन भरे जा सकेंगे। नाम वापसी की लिए 27 सितम्बर दोपहर तीन बजे तक का समय निर्धारित है। मतदान 4 अक्टूबर सुबह 9 से 4 बजे तक है। इसके बाद मतगणना रखी गई है।
—————————–