कार्यक्रम के दौरान वर्ष 2018 की पासआउट वैशाली शर्मा ने एक्सपीरियंस शेयरिंग के दौरान बताया कि मैंने वर्ष 2009 में पोस्ट ग्रेजुएशन कर लिया था इसके बाद मेरी शादी हो गई। शादी के बाद घर में वो कुछ ना कुछ डिजायन करती रहती थीं हालांकि फिनिशिंग उतनी परफेक्ट नहीं होती थी, यह सिलसिला करीब 6 साल तक चलता रहा। वैशाली के पति ने जब डिजायनिंग के प्रति उसकी लगन देखी तो वर्ष 2015 में दोबारा पढ़ाई शुरू करने के लिए प्रेरित किया। जिसके बाद वैशाली ने फैशन टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा किया।
इंस्टा पेज से करते हैं कस्टमाइज ज्वैलरी का बिजनेस
कृति शांडिल्य, पूजा वर्मा और दीपसी वर्मा वर्ष 2017 पासआउट हैं, तीनों फ्रेंड्स मिलकर ऑन डिमांड कस्टमाइज ज्वैलरी व एक्सेसरीज तैयार करती हैं। प्रोडक्ट पर क्रिएटिव डिजायंस व एक्रेलिक हैंड पेंटिंग इसे यूनीक बनाता है। इन प्रोडक्ट्स को वे इंस्टाग्राम, फेसबुक पेज के माध्यम से बेचती हैं। पूजा ने बताया कि कुछ दिनों पहले मैंने अखबार में पढ़ा कि अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हैंडलूम के लिए अलग से सेक्शन है लिहाजा अब मैं अपने डिजायन किए हुए ड्रेसेज वहां भी सेल करने का प्लानिंग कर रही हूं।
थिएटर में कॉस्ट्यूम डिजायन करना था उद्देश्य
22 वर्षीय जागृति मजूमदार ने बताया कि मैं थिएटर से जुड़ी हुई हूं और अक्सर देखती थी कि जब भी कोई कॉस्ट्यूम आते थे वो फिट नहीं होते थे। कई बार हमें ऑन रेंट कॉस्ट्यूम पर ही निर्भर रहना पड़ता था। मैंने जब फैशन टेक्नोलॉजी कोर्स ज्वाइन किया तो मेरा कॉन्सेप्ट क्लीयर था कि मुझे थिएटर के लिए ही ड्रेस डिजायन करना है और यहां से निकलने के बाद अब मैं खुद ड्रेसेज डिजायन करती हूं। वहीं प्रियंका पाटिल और निकिता तलरेजा ने बताया कि हमने फैशन टेक्नोलॉजी की पढ़ाई की लेकिन इंटर्नशिप के दौरान ग्राफिक डिजायन में इंट्रेस्ट आने लगा जिसके बाद अब हम दोनों इस फील्ड में ही आगे बढऩे की तैयारी कर रहे हैं।