सौदा पत्रक तैयार होने के बाद व्यापारी किसानों के घर से अनाज उठा ले जाएंगे।
इस व्यवस्था से किसानों को अनाज लेकर मंडियों तक आने-जाने में खर्च होने वाली राशि तो बचेगी ही, साथ ही उन्हें वहां अपनी फसल बेचने के लिए कई दिनों तक मंडियों में डेरा नहीं डालना पड़ेगा। इससे न तो कोरोना संक्रमण का खतरा रहेगा और न ही मंडियों में भीड़ लगेगी। वर्तमान में यह व्यवस्था लागू है, लेकिन व्यापारी इस पर अब बहुत ज्यादा रूचि नहीं ले रहे हैं। कृषि विभाग द्वारा अब इसके प्रचार प्रसार के साथ किसानों और व्यापारियों को इसकी जानकारी दी जाएगी।
इस व्यवस्था से किसानों को अनाज लेकर मंडियों तक आने-जाने में खर्च होने वाली राशि तो बचेगी ही, साथ ही उन्हें वहां अपनी फसल बेचने के लिए कई दिनों तक मंडियों में डेरा नहीं डालना पड़ेगा। इससे न तो कोरोना संक्रमण का खतरा रहेगा और न ही मंडियों में भीड़ लगेगी। वर्तमान में यह व्यवस्था लागू है, लेकिन व्यापारी इस पर अब बहुत ज्यादा रूचि नहीं ले रहे हैं। कृषि विभाग द्वारा अब इसके प्रचार प्रसार के साथ किसानों और व्यापारियों को इसकी जानकारी दी जाएगी।
लॉकडाउन के दौरान हुई थी इसकी शुरूआत
सौदा पत्रक की शुरूआत 2019 में कोरोन काल में लाक डाउन के दौरान सरकार ने गेहूं की फसल खरीदने के लिए की थी। यह व्यवस्था सिर्फ ग्वालियर-चंबल संभाग में लागू की गई थी, जिसमें करीब पांच लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी। इसके बाद 2020 कृषि कानून लागू होने के बाद इस व्यवस्था पर विराम जैसे लग गया। इसके बाद कृषि कानून पर सुप्रीम कोर्ट के स्टे होने के बाद फिर से इस व्यवस्था पर जोर दिया गया, जिसके आधार पर पूरे प्रदेश में करीब 30 लाख मीट्रिक टन अनाज की खरीदी हुई। अब कानून वापस के बाद 100 फीसदी खरीदी सौदा पत्रक के जरिए करने की तैयारी की जा रही है, इसके लिए विभाग ने मोबाइल एप तैयार कर उसका प्रचार प्रसार शुरू कर दिया है।
मंडियों में आता है 180 लाख मीट्रिक टन अनाज
पूरे प्रदेश में 259 मंडिया हैं। इसमें न मंडियों के जरिए सालभर में 180 लाख मीट्रिक टन अनाज की खरीदी होती है। इससे सरकार को करीब साढ़े पांच सौ करोड़ का राजस्व मंडी टैक्स के रूप में मिलता है। इसमें से खरीदी-बिक्री पर 1 रूपए 70 पैसे मंडी टैक्स वसूला जाता है। इस टैक्स में से 20 पैसा निराश्रित कोष में जमा किया जाता है।
– अनाज खरीदी पर पूरा जोर सौदा पत्रक से किया जा रहा है। इसके लिए मोबाइल एप भी तैयार किया गया है। इससे किसानों और व्यापारी, दोनों आनाज की खरीदी-बिक्री में सहूलियत होगी।
विकास नरवाल, एमडी कृषि विपणन मंडी बोर्ड