इस व्यवस्था से किसानों को अनाज लेकर मंडियों तक आने-जाने में खर्च होने वाली राशि तो बचेगी ही, उन्हें वहां अपनी फसल बेचने के लिए कई दिनों तक मंडियों में डेरा नहीं डालना पड़ेगा। इससे न तो कोरोना संक्रमण का खतरा रहेगा और न ही भीड़ लगेगी। वर्तमान में यह व्यवस्था लागू है, लेकिन व्यापारी इस पर अब बहुत ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं। कृषि विभाग द्वारा अब इस मोबाइल ऐप के प्रचार-प्रसार के साथ किसानों और व्यापारियों को इसकी जानकारी दी जाएगी।
Must See: मध्य प्रदेश में नक्सलियों का आतंक, सड़क निर्माण में लगे 3 वाहनों को जलाया
लॉकडाउन के दौरान शुरुआत
सौदा पत्रक की की आत 2019 में लॉकडाउन के दौरान सरकार ने गेहूं की फसल खरीदने की थी। व्यवस्था सिर्फ ग्वालियर-चंबल संभाग में लागू थी। कृषि कानून लागू होने के बाद व्यवस्था पर विराम लग गया था। कानून पर सुप्रीम कोर्ट के सटे के बाद फिर से व्यवस्था पर जोर दिया गया। अब कानून वापस के बाद 100 फीसदी खरीदी सौदा पत्रक के जरिए करने की तैयारी है।
Must See: रेल यात्रियों को बड़ी राहत, कई ट्रेनों में सुविधा बहाल
180 लाख मीट्रिक टन अनाज की आवक
प्रदेश में 259 मंडिया हैं। सालभर में औसतन 180 लाख मीट्रिक टन अनाज की खरीदी होती है। सरकार को करीब 550 करोड़ का राजस्व मंडी टैक्स के रूप में मिलता है। खरीदी-बिक्री पर 1.70 रुपए टैक्स वसूला जाता है। कृषि विपणन मंडी बोर्ड के एमडी विकास नरवाल के अनुसार अनाज खरीदी पर पूरा जोर सौदा पत्रक से किया जा रहा है। मोबाइल ऐप तैयार किया गया है। इससे किसानों, व्यापारी को खरीदी-बिक्री में सहूलियत होगी।