पहले भी मिल चुका है आश्वासनः जूडा
पिछली बार लगभग 13 दिनों तक चले आंदोलन के बाद 23 अगस्त को सांसद आलोक संजर की ओर से मिले आश्वासन के बाद जूडा ने हड़ताल खत्म कर दी थी। हड़ताल खत्म होने के इतने दिनों बाद भी मांगे पूरी नहीं किए जाने के कारण आयुष चिकित्सकों में आक्रोश है। जिसके चलते वह इस बार बड़ा आंदोलन करने के मोड में आ गए हैं। अगर इस बार फिर आयुष के जूनियर डॉक्टर आंदोलन करते हैं, तो पहले की तरह एक बार फिर प्रदेश के कई अस्पतालों की स्वास्थ सेवाएं ठप्प हो जाएंगी।
इन तीन सूत्रीय मांगों को लेकर होगा आंदोलन
आयुष चिकित्सकों ने अपनी जिन तीन सूत्रीय मांगों को सरकार के सामने रखा है उनमें स्टाइपेंड वृद्धि, रिक्त आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के पदों पर भर्ती और नवीन आयुर्वेदिक औषधालय खोले जाने की घोषणा की मांग है, जिसे सरकार ने अब तक पूरा नहीं किया है। इससे पहले हड़ताल पर बैठे आयुष चिकत्सकों को आश्वासन दिया गया था कि हड़ताल खत्म करने के 15 दिनों के भीतर उनकी मांगों को पूरा किया जाएगा। हालांकि, मांगें पूरी करने को लेकर उन्हें सरकार के आयुष मंत्री, प्रमुख सचिव आयुष, वित्तमंत्र, वित्त सचिव ने आश्वासन दिया था, लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक सरकार इसपर कोई कार्यवाही करने को राज़ी नहीं है। इसी विरोध में एक बार फिर प्रदेश के जूनियर आयुष डॉक्टर्स सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करने को मजबूर हैं।
जूडा की सरकार को धमकी
जूनियर जॉक्टर आयुष के मुताबिक, आगामी हड़ताल को लेकर 17 सितंबर को प्रदेश के सभी आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पतालों में तालाबंदी की जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो स्वास्थ सेवाएं ठप्प हो जाएंगी राजधानी भोपाल में करीब 500 मरीज हर रोज इलाज के लिए एवं पंचकर्म करवाने के लिए आयुर्वेदिक अस्पतालों में जाते हैं। तालाबंदी के कारण 17 सितंबर से मरीजों को इन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा। इतना ही नहीं आयुष चिकित्सकों ने इस बार सरकार को कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि, अगर इस बार समय पर सरकार ने उनकी मांगों पर गौर नहीं किया तो आगामी समय में उग्र आंदोलन भी किया जाएगा।