इसके अलावा 3562 आईआरसीटीसी आईडी को भी ब्लॉक किया गया। जानकारी के मुताबिक इन 62 एजेंटों ने ई-टिकटों की कालाबाजारी से करोड़ों रुपए कमाई की। यह एजेंट भी निजी आईडी और सॉफ्टवेयर की मदद से कंफर्म तत्काल टिकटों पर सेंध लगाते थे। आरपीएफ कमांडेंट का कहना है कि भोपाल डिवीजन में पकड़े गए एजेंटों का आतंकवाद फंडिंग, मनीलॉड्रिंग से कोई कनेक्शन नहीं पाया गया।
19 पर्सनल आईडी से बुक किए थे 41.80 लाख के 2011 ई-टिकट
बता दें, इससे पहले नवम्बर 2019 में आरपीएफ की अपराध खुफिया शाखा ने संत हिरदाराम नगर से अमित रजानी नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। अवैध रूप से ई-टिकट का व्यापार कर रहे अमित ने 19 पर्सनल आईआरसीटीसी आईडी के माध्यम से पकड़े जाने तक 2011 ई-टिकट बुक किए थे। जिसकी कीमत 41 लाख 80 हजार 858 रुपए पाई गई थी।
अनाधिकृत आईडी के टिकट खरीदने वाले यात्रियों को हो सकती है परेशानी
दरअसल, आईआरसीटीसी के अधिकृत एजेंट व साइबर कैफे संचालक यात्रियों को एजेंट आईडी की जगह पर्सनल आईडी से ई-टिकट बुक करके दे रहे हैं। रेलवे एक्ट की धारा-143 के तहत पर्सनल आईडी से टिकट बुक कर बेचना अपराध के दायरे में आता है, ऐसे मामले में पकड़े जाने पर एजेंट व दलाल को जेल तो भेजा ही जाता है साथ ही उसके द्वारा पर्सनल आईडी से बुक टिकट भी रद्द कर दिए जाते हैं। ऐसे में जिन यात्रियों के टिकट एजेंट द्वारा पर्सनल आईडी से बनाए गए हैं उनकी यात्रा प्रभावित होती है।
पर्सनल आईडी से टिकट बुक करना नहीं लेकिन उसे बेचना अपराध है
आरपीएफ कमांडेंट का कहना है कि यात्री अगर एजेंट से टिकट बुक कराते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि वह टिकट पर्सनल आईडी से बुक ना किया गया हो। ऐसा होने पर संबंधित यात्री को भी परेशान होना पड़ सकता है। आरआरसीटीसी द्वारा अपने अधिकृत एजेंटों को एजेंट लॉगिन दिया जाता है वह उसी आईडी से टिकट बुक कर सकते हैं। पर्सनल आईडी से टिकट बुक करना अपराध नहीं है लेकिन उस टिकट को बुक करके बेचना अपराध है।