युगप्रवर्तक माधवजी पोतदार ने इस वैदिक विधि को पुनर्जीवित किया है। संस्थान प्रबंधन ने बताया कि अग्निहोत्र का आयोजन वर्ष 1969 से लगातार किया जा रहा है। अग्नीहोत्र सूर्यास्त के समय शाम 6 बजकर 51 मिनट पर किया गया, इसके ठीक दो घंटे पहले यानी 5 बजे सभी को आयोजन स्थल पर उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे। इसके पहले 16 मई को बैरागढ़ में एक वाहन रैली निकाली गई। आश्रम के विवेक पोद्दार ने बताया कि शुद्ध और स्वच्छ पर्यावरण प्रत्येक जीव की प्रथम आवश्यकता है।
10 मिनट में हो जाता है अग्निहोत्र
अग्निहोत्र की प्रक्रिया में 10 से 15 मिनट का समय लगता है। दो आसान वैदिक मंत्रों का उच्चारण करना होता है। अग्निहोत्र विधि में समय का विशेष तौर पर ध्यान दिया जाता है। यानी सूर्योदय और सूर्यास्त के समय ही अग्निहोत्र किया जाता है। गाय का शुद्ध घी भी अग्निहोत्र के लिए आवश्यक है। आश्रम संचालिका ने बताया कि वेदोक्त प्राण ऊर्जा विज्ञान से संबंधित अग्निहोत्र की कृति प्रकृति की एक लय पर आधारित है।
जहां भागवत कथा होती है वहां का वातावरण स्वत: ही सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। इसलिए जब भी हमें भागवत कथा सुनने का अवसर मिलता है तो हमें उसे अवश्य सुनना चाहिए। जब मन में नकारात्मक विचार नहीं होंगे तो कोई कष्ट भी नहीं होंगे।
यह उद्गार मानस भवन में गुरुवार से शुरू हुई भागवत कथा के पहले दिन व्यास पीठ से पंडित मुकेश महाराज ने कही। उन्होंने श्रृद्धालुओं को भागवत कथा का मतलब समझाते हुए बताया कि श्रीममद् भागवत कथा का श्रवण करने और सुनने से असीम शांति का अनुभव होता है। भागवत कथा भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अनुराग भी उत्पन्न करती है।
कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भागवत कथा में भगवान के जिन रूपों और लीलाओं का वर्णन है, उन्हें यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो हमारा जीवन सुखमय हो जाएगा। सभी लोग सांसारिक मोह-माया के बंधन से छूटकर जीवन की सत्यता को जान पाएंगे। श्रीमद्भागवत कथा हमें मोह-माया के बंधन से मुक्त कराती है और बोध कराती है कि किस उद्देश्य के लिए हमारा जन्म हुआ है।
जिस भी क्षेत्र में भागवत कथा होती है वहां का वातावरण सकारात्मक रहता है और नकारात्मकता नही रहती। कथा के पहले शोभायात्रा का आयोजन किया गया। इसके साथ की कथा के यजमान लिली अग्रवाल, प्रीति अग्रवाल, सीमा सुरेन्द्रनाथ सिंह, राम बंसल, संतोष ठाकुर, संजय सोनी, अमित गुप्ता, सुनील राठौर सहित अन्य लोगों ने व्यासपीठ की पूजन की।