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सरकार ने खेती को लाभ का धंधा बनाया तो फिर किसान आंदोलन क्यों!

locationभोपालPublished: Nov 05, 2018 08:05:24 am

संजय ने पीसीसी में सीएम पर लगाए आरोप….

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सरकार ने खेती को लाभ का धंधा बनाया तो फिर किसान आंदोलन क्यों!

भोपाल। मध्यप्रदेश में भावांतर योजना फेल हो गई। किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ। सरकार ने खेती को लाभ का धंधा बनाया तो फिर किसान आंदोलन क्यों हो रहे हैं।

यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के रिश्तेदार संजय मसानी ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारवार्ता में कही। उन्होंने कहा कि सरकार संबल योजना को चुनावी वोट बंटोरने के लिए
लाई है।

कमलनाथ की तुलना विराट कोहली से की…
संजय ने कहा, कमलनाथ ने छिंदवाड़ा को नंबर वन किया है। जब नया खिलाड़ी आता है तो पुराने खिलाड़ी को विश्राम दे देना चाहिए। उन्होंने सीएम की तुलना धोनी और कमलनाथ की तुलना विराट कोहली से की।

संजय सिंह ने कहा कि पहले धोनी कप्तान थे, लेकिन जब विराट कोहली की एंट्री हुई तो वे कप्तान बन गए। वारासिवनी विधानसभा में उनके बाहरी प्रत्याशी होने की बात पर उन्होंने वारासिवनी सीट के डेढ़ सौ गांव के नाम गिना दिए।

 

कांग्रेस ने ठोक बजाकर पार्टी में लिया….
अपने ऊपर लगे आरोपों पर संजय बोले कि कांग्रेस ने ठोक बजाकर लिया है। सभी आरोप झूठे पाए गए हैं। राजनीतिक विरोध के कारण कई बार आरोप लगाए जाते हैं, लेकिन एेसे किसी आरोप से कोई लेना-देना नहीं है।

नए चेहरों को ज्यादा पसंद करते हैं प्रदेश के मतदाता….
पुरानों के मुकाबले मतदाता नए चेहरों को अधिक पसंद करते हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में नए विधायकों की संख्या बढ़ी है। यही वजह है कि राजनीतिक दलों ने इस बार भी नए लोगों को टिकट दिए हैं। भाजपा ने अभी 30 और कांग्रेस ने करीब 17 नए चेहरों को मौका दिया है।


14वीं विधानसभा में 113 नए चेहरे विधायक बनकर पहुंचे थे। 13वीं विधानसभा में 108 नए चेहरे थे। ये पिछली विधानसभा की तुलना में छह अधिक थे। भाजपा में नए चेहरों की संख्या घटी है, क्योंकि 2003 के चुनाव के मुकाबले उस दौरान भाजपा का जादू कुछ कम हुआ था।

2003 में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला था, लेकिन इसके बाद यह स्थिति नहीं रही। 2008 में भाजपा के 70 नए लोगों को मतदाताओं ने चुना, जबकि 2013 के चुनाव में यह संख्या घटकर 64 रह गई। कांग्रेस में वर्तमान में 43 नए विधायक हैं, जबकि इसके पहले इनकी संख्या मात्र 24 थी।

बसपा के सभी पहली बार के विधायक…..
बसपा के चार विधायक बलवीर सिंह डंडौतिया, सत्यप्रकाश सखवार, ऊषा चतुर्वेदी और शीला त्यागी हैं। ये सभी पहली बार के विधायक हैं। संख्या बल में कम होने के बावजूद भी ये सदन में उपस्थिति बनाए रखते हैं। ऐसी ही स्थिति निर्दलीय विधायकों की है।

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