इसका पीछे रावण के प्रति प्रेम या कोई रिश्ता जैसी कोई बात नहीं थी,बल्कि एक ऐसा कारण था जिसके बारे में सुनकर हर किसी ने राम का समर्थन ही किया। दरअसल मामला मध्यप्रदेश के अशोक नगर जिले का है जहां हरी के पठार पर स्टेडियम में रावण के पुतले को जलाने से रामलीला में राम का किरदार निभाने वाले अमित शर्मा ने इनकार कर दिया।
दरअसल हरी के पठार पर स्टेडियम में रावण के अधूरे पुतले के दहन पर जमकर हंगामा हुआ। राम, लक्ष्मण व रावण के पात्रों को जलाने का विरोध किया। काफी मान मनौव्वल के बाद पुतले का दहन किया जा सका।
रावण दहन के लिए पुतलों को एक दिन पहले ही तैयार हो जाना था, लेकिन पुतले कार्यक्रम होने तक तैयार नहीं हो सके। अंतिम समय तक तैयारियां चलती रहीं, इसके बावजूद रावण व कुंभकर्ण के अधूरे पुतलों को ही कार्यक्रम स्थल पर रख दिया गया।
अतिथि जब रावण की पूजन करने पहुंचे, तब भी पुतले तैयार नहीं थे। धीरे-धीरे बात बिगड़ती चली गई और रामलीला में राम का किरदार निभाने वाले अमित शर्मा ने रावण का दहन करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि रावण ज्ञानी पंडित व बुद्धिजीवी था, यह उसका अपमान है।
50 सालों से रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले प्रमेन्द्र शर्माने भी इसे समिति की लापरवाही बताया और कहा कि इस तरह अधूरे रावण को जलाना अपशकुन की तरह है। वहीं हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष अजय शर्मा ने कहा दशहरे के दिन रावण की पूजा होती है। यहां अधूरे रावण की पूजा कर दी गई, जो गलत है। यदि समिति व्यवस्था नहीं कर सकती तो रावण दहन बंद कर दे।
आयोजन में श्री शक्ति दशहरा समिति के अध्यक्ष यादवेन्द्रसिंह यादव, जिपं अध्यक्ष बाईसाहब यादव, नपाध्यक्ष सुशीला साहू, एसपी पंकज कुमावत, एसडीएम सुरेश जादव, राकेश सिंघई, प्रमोद जैन, कैलाश गुप्ता, तरुण भट्ट, अरविंद धुर्रा सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।
बिना पैर और लटकते सिर का रावण
रावण दहन का समय नजदीक आने पर आनन-फानन में अधूरे पुतलों को ही खड़ा कर दिया गया था। इसमें रावण के पैर गायब थे और सिर एक तरफ को झुक रहा था। हाथ भी ठीक ढंग से नहीं जोड़े गए थे।
कुंभकर्ण का पुतला भी अधूरा था और इसके गले में मिट्टी के तेल की बोतलें लटका दी गई थीं। पुतले पर कलर भी अधूरा रह गया था। इसके बाद आनन-फानन में पुतलों में आतिशबाजी भरी गई।
शहर से सेना का निकला चल समारोह
इससे पहले राम व रावण की सेना का चल समारोह शहर के प्रमुख मार्गों से निकाला। दोपहर 4 बजे सुभाष गंज से स्टेशन रोड, गांधी पार्क, पुराना बाजार, बजरिया मोहल्ला, शांतिनाथ मंदिर से होते हुए कचनार रोड से कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा।
इससे पहले राम व रावण की सेना का चल समारोह शहर के प्रमुख मार्गों से निकाला। दोपहर 4 बजे सुभाष गंज से स्टेशन रोड, गांधी पार्क, पुराना बाजार, बजरिया मोहल्ला, शांतिनाथ मंदिर से होते हुए कचनार रोड से कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा।
जहां राम-रावण युद्ध के बाद रावण का दहन किया गया। इससे पहले आतिशबाजी चलाई गई। बड़ी संख्या में लोग रावण दहन देखने के लिए पहुंचे। काफी देर तक चला हंगामा
काफी देर तक हंगामे और विरोध का दौर चलता रहा। इसके बाद विधायक जजपालसिंह जज्जी व समिति सदस्यों के बार-बार विनती करने के बाद रावण दहन किया गया। लेकिन रावण का पुतला पूरा नहीं जल पाया और अधजले पुतले को ही लोग वहां से घसीटकर ले गए।
काफी देर तक हंगामे और विरोध का दौर चलता रहा। इसके बाद विधायक जजपालसिंह जज्जी व समिति सदस्यों के बार-बार विनती करने के बाद रावण दहन किया गया। लेकिन रावण का पुतला पूरा नहीं जल पाया और अधजले पुतले को ही लोग वहां से घसीटकर ले गए।
कुंभकर्ण का पुतला भी नहीं जल पाया। विरोध को देखते हुए कलेक्टर डॉ. मंजू शर्मा ने मंच से ही समिति को भंग कर अगली बार नई समिति गठित करने की बात कही।