प्रदेश में आदिवासियों को कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता रहा है, लेकिन 2003 के चुनाव में यह वोट बैंक भाजपा के पास चला गया। तब से यहां कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई। पिछले विधानसभा चुनाव की ही बात करें तो अनुसूचित जनजाति की 47 सीटों में से मात्र 15 पर कांग्रेस सफल रही। जयस के बढ़ते प्रभाव ने कांग्रेस की बेचैनी और बढ़ा दी है। कांग्रेस किसी भी तरह आदिवासी वोट बैंक पर अपना कब्जा चाहती है, इसलिए पार्टी खोई हुई ताकत को पाने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है। इसी तरह की स्थिति गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को भी साधने की तैयारी भी कांग्रेस ने शुरू की है।
– चर्चाओं का दौर शुरू
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी बैतूल, छिंदवाड़ा, मंडला, डिंडोरी, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया और बालाघाट जिले में प्रभावी भूमिका में है, जबकि जयस का धार और उसके आप-पास के जिलों में खासा प्रभाव है। कांग्रेस दोनों से चर्चा कर रही है। विधानसभा सीटों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। जयस 47 सीटों पर चुनाव लडऩा चाहता है। वहीं, गोंडवाना 50 सीटों का दावा कर रही है। कांग्रेस इतनी अधिक सीटों के लिए राजी नहीं है।
– नेता प्रतिपक्ष ने लिखा पत्र
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने राज्य मानव अधिकार आयोग एवं मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नरसिंहपुर कलेक्टर के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कलेक्टर ने गांव सड़क बनाने की मांग करने वाले वृद्ध प्रमोद पुरोहित को जेल भेजने का आदेश देकर अधिकारों का उल्लंघन किया है।
नेता प्रतिपक्ष अपने पत्र में वर्ष 2015 में राजस्थान के अजमेर में एक वृद्ध सूर्यनारायण गर्ग के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा अजमेर कलेक्टर के खिलाफ विभागीय जांच और दस हजार का जुर्माना लगाने का उदाहरण दिया। इस प्रकरण में कलेक्टर ने गर्ग को डांटकर भगा दिया था। सिंह ने कहा कि नरसिंहपुर कलेक्टर का प्रकरण तो इससे भी अधिक गंभीर है। क्योंकि वृद्ध को अकारण चार दिन तक जेल में कैद रखा गया। उन्होंने कलेक्टर को हटाने की मांग की है।
जयस और गोंडवाना से पार्टी स्तर पर चर्चा चल रही है। इसके परिणाम अच्छे रहेंगे।
– अजय शाह, अध्यक्ष, कांग्रेस अनुसूचित जनजाति विभाग