आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में मोदी ने सबसे पहले उरी हमले में शहीद हुए 18 जवानों को नमन करते हुए कहा, ‘ इस आतंकवादी हमले में हमने अपने 18 बहादुर सैनिकों को खोया है। मैं उन सभी बहादुरों को नमन करता हूं और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। ‘
प्रधानमंत्री ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कहा था कि पाकिस्तान पूरे विश्व में आतंकवाद फैला रहा है और एक दिन वहां के लोग ही अपने नेताओं के खिलाफ विद्रोह कर देंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग अब राष्ट्र विरोधी ताकतों को पहचानने लगे हैं और ऐसी ताकतों से दूरी बनाकर शांति के मार्ग पर चल पड़े हैं।
इस सिलसिले में उन्होंने एक युवक हर्षवर्धन का उल्लेख करते हुए कहा कि उरी हमले से विचलित इस युवक ने प्रतिदिन तीन घंटे और अध्ययन करने तथा अच्छा नागरिक बनने की सौंगध ली है।
मोदी ने कहा कि हमें सेना पर भरोसा है। वह अपने पराक्रम से ऐसी हर कोशिशों को नाकाम करेंगे। उन्होंने शान्ति, एकता और सद्भावना को समस्याओं का समाधान और प्रगति का मूलमंत्र बताते हुए कहा कि उन्हें विश्वास है कि हर समस्या का समाधान मिल-बैठ कर ढूंढ़ लिया जाएगा और कश्मीर की भावी पीढ़ी के लिये उत्तम मार्ग भी प्रशस्त होगा।
उन्होंने कहा कि कश्मीर के नागरिकों की सुरक्षा शासन की जिम्मेवारी है। कानून और व्यवस्था बनाने के लिए शासन को कुछ कदम उठाने पड़ते हैं लेकिन सुरक्षा बलों को भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सामर्थ्य और शक्ति का उपयोग कानून और व्यवस्था के लिए हो।
मोदी ने देश के विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए सभी के योगदान का आह्वान करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आंदोलन की तीव्रता को रचनात्मक सामाजिक कार्यों की तरफ प्रेरित करने के सफल प्रयोग किये थे। शास्त्री जी ने ‘जय जवान – जय किसान’ मंत्र देकर के देश के सामान्य मानव को देश के लिए कार्य कैसे करना है, उसकी प्रेरणा दी थी। बम-बन्दूक की आवाज़ के बीच देशभक्ति को प्रकट करने का और भी एक रास्ता हर नागरिक के लिए होता है, यह उन्होंने प्रस्तुत किया था।
गांधी जी भी, आज़ादी का आन्दोलन जब तीव्रता पर होता था और आन्दोलन में एक पड़ाव की ज़रूरत होती थी, तो वे उसकी तीव्रता को समाज के अन्दर रचनात्मक कामों की ओर प्रेरित करने के लिए बड़े सफल प्रयोग करते थे।