प्लेसमेंकिंग: प्लेसमेंकिंग के नाम पर स्मार्ट सिटी ने अलग-अलग क्षेत्रों में 30 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की। इस राशि से एमपी नगर में स्मार्ट स्ट्रीट विकसित करने का दावा किया गया। यहां पर बच्चों के मनोरंजन, उनके खेलकूद की सुविधाएं, बसों का टर्मिनल समेत अन्य सुविधाएं होगी वह कहीं नजर नहीं आ रही है। लिंक रोड किनारे भी प्लेसमेकिंग से जगह विकसित की, लेकिन जिस तरह का दावा स्मार्ट का था वैसा नहीं हो पाया।
बीआरटीएस: बीआरटीएस के नाम पर विदेशी मॉडल को शहर में लागू करने के लिए 450 करोड़ रुपए खर्च किए गए। दावा था कि इससे सार्वजनिक परिवहन को रफ्तार मिलेगी। मिसरोद से बैरागढ़ तक महज 40 मिनट में पहुंचाने का दावा किया गया था। मौजूदा स्थिति यह है कि यह पूरा सिस्टम ध्वस्त हो चुका है लोगों को जरा भी राहत नहीं मिली।
किसी भी नवाचार को करने के पहले उससे जुड़े पहलुओं पर संबंधित एजेंसी के कर्मचारियों व अधिकारियों की ट्रेनिंग का पूरा इंतजाम करना चाहिए। उस नवाचार को लागू करने में जो लोग गंभीर नजर आएं उन्हें ही उस टीम में शामिल करना चाहिए। लोगों के लिए और विभाग के लिए दोनों के लिए यह नई चीज होती है, इसलिए इसके प्रति बेहद संवेदनशील और सकारात्मक रूप के साथ काम करने की जरूरत है। यदि परंपरागत तरीके से काम करने की कोशिश की जाती है तो फिर नवाचार कोई भी हो वह सफल नहीं हो पाएगा।
वीके चतुर्वेदी,रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी
केवीएस चौधरी, निगमायुक्त
सीवेज चेंबर को ऑटोमेटिक सेंसर से जोड़ा जा रहा है। दावा है कि सीवर चेम्बर जैसे ही ओवरफ्लो होगा, यह संबंधित नम्बर पर अलर्ट देगा। वहां से इस चेंबर को खाली कराने की कार्रवाई शुरू होगी।
नगर निगम एक मिनट चैलेंज के नाम से लोगों को ऑनलाइन एक मिनट में ही अपना टैक्स जमा करने की सुविधा देने जा रहा है। गौरतलब है कि नगर निगम इससे पहले दो नेप समेत ई नगर पालिका और बीएमसी ऑनलाइन के माध्यम से यह कार्रवाई कर चुका है। भोपाल प्लस ऐप समेत अन्य कई ऐप से राजस्व संपत्तिकर और अन्य कर जमा करने व रिकॉर्ड रखरखाव के लिए सिस्टम विकसित कर चुका है, लेकिन यह किसी काम नहीं आए।