शहर में ऐसे बने और फेल हुए नवाचार स्मार्ट पार्किंग: शहर के 52 क्षेत्रों में स्मार्ट पार्किंग विकसित करने की कवायद शुरू हुई। नगर निगम ने बेंगलुरू की कंपनी को अनुबंधित किया। बताया जा रहा है कि यह नगरीय प्रशासन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मित्र की कंपनी थी। कंपनी को मोबाइल ऐप जैसी तमाम सुविधाएं विकसित करना थीं। लेकिन सालभर में 10 करोड़ से अधिक की राशि वसूली और कांटेक्ट तोड़कर चली गई।
स्मार्ट पोल: स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन ने 700 करोड़ रुपए की लागत से पूरे शहर में स्मार्टपोल की स्थापना करवाई। दावा यह था कि यह स्मार्टपोल मोबाइल टॉवर की तरह नेटवर्क सिग्नल देने का काम भी करेंगे। लेकिन ये सिर्फ स्ट्रीट लाइट के पोल बनकर रह गए।
माय बाइक: मायबाइक के नाम पर स्मार्ट सिटी ने किराए से साइकिल देने का कॉन्सेप्ट लॉन्च किया। इस पूरे कॉन्सेप्ट पर स्मार्ट सिटी की ओर से 5 करोड रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई। 5 करोड से साइकिल ट्रैक भी बनाया गया। अभी स्थिति यह है कि रखरखाव के अभाव में यह ट्रैक भी टूट गया है। साइकिल व इनके रखने की स्थल भी खराब हो गए हैं।
प्लेसमेंकिंग: प्लेसमेंकिंग के नाम पर स्मार्ट सिटी ने अलग-अलग क्षेत्रों में 30 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की। इस राशि से एमपी नगर में स्मार्ट स्ट्रीट विकसित करने का दावा किया गया। यहां पर बच्चों के मनोरंजन, उनके खेलकूद की सुविधाएं, बसों का टर्मिनल समेत अन्य सुविधाएं होगी वह कहीं नजर नहीं आ रही है। लिंक रोड किनारे भी प्लेसमेकिंग से जगह विकसित की, लेकिन जिस तरह का दावा स्मार्ट का था वैसा नहीं हो पाया।
स्मार्ट डस्टबिन: स्मार्ट डस्टबिन के नाम पर नगर निगम ने करीब 10 करोड़ रुपए खर्च किए। दावा यह रहा कि स्मार्ट डस्टबिन जब भर जाएंगे तो इनके सेंसर ऑटोमेटिक कंट्रोल रूम पर सूचना देंगे। स्थिति यह है कि सारे स्मार्टबिन खराब हो गए हैं। कहीं कोई सेंसर नहीं है।
बीआरटीएस: बीआरटीएस के नाम पर विदेशी मॉडल को शहर में लागू करने के लिए 450 करोड़ रुपए खर्च किए गए। दावा था कि इससे सार्वजनिक परिवहन को रफ्तार मिलेगी। मिसरोद से बैरागढ़ तक महज 40 मिनट में पहुंचाने का दावा किया गया था। मौजूदा स्थिति यह है कि यह पूरा सिस्टम ध्वस्त हो चुका है लोगों को जरा भी राहत नहीं मिली।
पहले ट्रेनिंग तो दें…
किसी भी नवाचार को करने के पहले उससे जुड़े पहलुओं पर संबंधित एजेंसी के कर्मचारियों व अधिकारियों की ट्रेनिंग का पूरा इंतजाम करना चाहिए। उस नवाचार को लागू करने में जो लोग गंभीर नजर आएं उन्हें ही उस टीम में शामिल करना चाहिए। लोगों के लिए और विभाग के लिए दोनों के लिए यह नई चीज होती है, इसलिए इसके प्रति बेहद संवेदनशील और सकारात्मक रूप के साथ काम करने की जरूरत है। यदि परंपरागत तरीके से काम करने की कोशिश की जाती है तो फिर नवाचार कोई भी हो वह सफल नहीं हो पाएगा।
वीके चतुर्वेदी,रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी
किसी भी नवाचार को करने के पहले उससे जुड़े पहलुओं पर संबंधित एजेंसी के कर्मचारियों व अधिकारियों की ट्रेनिंग का पूरा इंतजाम करना चाहिए। उस नवाचार को लागू करने में जो लोग गंभीर नजर आएं उन्हें ही उस टीम में शामिल करना चाहिए। लोगों के लिए और विभाग के लिए दोनों के लिए यह नई चीज होती है, इसलिए इसके प्रति बेहद संवेदनशील और सकारात्मक रूप के साथ काम करने की जरूरत है। यदि परंपरागत तरीके से काम करने की कोशिश की जाती है तो फिर नवाचार कोई भी हो वह सफल नहीं हो पाएगा।
वीके चतुर्वेदी,रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी
कुछ नया नहीं करेंगे तो फिर कुछ बेहतर और अच्छा भी नहीं कर पाएंगे। हां इतना जरूर है कि हम जो कर रहे हैं उसके लिए प्रॉपर ट्रेनिंग भी जरूर दे रहे हैं। निगरानी की व्यवस्था कर रहे हैं।
केवीएस चौधरी, निगमायुक्त
केवीएस चौधरी, निगमायुक्त
अब आगे ये भी नवाचार
सीवेज चेंबर को ऑटोमेटिक सेंसर से जोड़ा जा रहा है। दावा है कि सीवर चेम्बर जैसे ही ओवरफ्लो होगा, यह संबंधित नम्बर पर अलर्ट देगा। वहां से इस चेंबर को खाली कराने की कार्रवाई शुरू होगी।
नगर निगम एक मिनट चैलेंज के नाम से लोगों को ऑनलाइन एक मिनट में ही अपना टैक्स जमा करने की सुविधा देने जा रहा है। गौरतलब है कि नगर निगम इससे पहले दो नेप समेत ई नगर पालिका और बीएमसी ऑनलाइन के माध्यम से यह कार्रवाई कर चुका है। भोपाल प्लस ऐप समेत अन्य कई ऐप से राजस्व संपत्तिकर और अन्य कर जमा करने व रिकॉर्ड रखरखाव के लिए सिस्टम विकसित कर चुका है, लेकिन यह किसी काम नहीं आए।
सीवेज चेंबर को ऑटोमेटिक सेंसर से जोड़ा जा रहा है। दावा है कि सीवर चेम्बर जैसे ही ओवरफ्लो होगा, यह संबंधित नम्बर पर अलर्ट देगा। वहां से इस चेंबर को खाली कराने की कार्रवाई शुरू होगी।
नगर निगम एक मिनट चैलेंज के नाम से लोगों को ऑनलाइन एक मिनट में ही अपना टैक्स जमा करने की सुविधा देने जा रहा है। गौरतलब है कि नगर निगम इससे पहले दो नेप समेत ई नगर पालिका और बीएमसी ऑनलाइन के माध्यम से यह कार्रवाई कर चुका है। भोपाल प्लस ऐप समेत अन्य कई ऐप से राजस्व संपत्तिकर और अन्य कर जमा करने व रिकॉर्ड रखरखाव के लिए सिस्टम विकसित कर चुका है, लेकिन यह किसी काम नहीं आए।