सिंधिया-दिग्विजय खेमे ने बढ़ाई चिंता, दिल्ली के सहारे चल रही एमपी की कमलनाथ सरकार
सिंधिया-दिग्विजय खेमे ने बढ़ाई चिंता, दिल्ली से सहारे चल रही एमपी की कमलनाथ सरकार

भोपाल . कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश में जीत के बाद जब ज्योतिरादित्य सिंधिया को किनारे कर कमलनाथ को मुख्यमंत्री चुना तो ऐसा कहा गया कि प्रदेश को एक सशक्त सीएम मिला है। कमलनाथ के पास सत्ता और संगठन दोनों का अनुभव है। कमलनाथ को राजनीति का एक मझा हुआ खिलाड़ी माना जाता है। लेकिन मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गुट के को साधने के लिए हर बार दिल्ली दरबार में हाजिरी में लगा रहे हैं। हर निर्णय के लिए अब कमलनाथ को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सहमति लेनी पड़ रही है।
तीन दिन बाद मिला मंत्रियों को विभाग
कमलनाथ कैबिनेट का गठन 25 दिसंबर को हुआ लेकिन मंत्रियों के विभागों के बंटबारे में कमलनाथ को तीन दिन लगे। कमलनाथ ने मंत्रियों के विभाग के बंटवारे के लिए पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया से कई दौर की वार्ता की लेकिन कोई निर्ण नहीं निकल सका। जिसके बाद कमलनाथ को मंत्रियों के विभाग के बंटवारे के लिए मंत्रियों की सूची राहुल गांधी को भेजनी पड़ी। राहुल गांधी के हस्ताक्षेप के बाद तीसरे दिन मंत्रियों को उनके विभाग दिए गए। दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्धन सिंह के लिए वित्त मंत्रालय की मांग कर रहे थे तो ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने खेमे के विधायक तुलसी सिलावट के लिए गृह मंत्रालय की मांग कर रहे थे। लेकिन अंतिम में हाई कमान के हस्ताक्षेप के बाद ही मंत्रियों के विभाग बांटे जा सके।
दिल्ली से तय हुए थे मंत्रियों के नाम
कमलनाथ ने 17 दिसंबर को मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। शपथ ग्रहण के बाद माना जा रहा था कि अब जल्द की कैबिनेट का गठन भी हो जाएगा लेकिन कैबिनेट के गठन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने-अपने खेमे के विधायकों को मंत्री बनाने के लिए कोशिश करते रहे जिसके बाद कमलनाथ को एक बार फिर से दिल्ली की तरफ रूख करना पड़ा। कैबिनेट गठन को लेकर कमलनाथ लगातार चार दिनों तक दिल्ली प्रवास में रहे और कई बार राहुल गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और पार्टी के कई बड़े नेताओं के साथ बात की। जिसके बाद राहुल गांधी ने मंत्रियों के नाम फाइनल किए और फिर 25 दिसंबर को कैबिनेट का शपथ ग्रहण समारोह हुआ।
सिंधिया और दिग्विजय खेमे के बीच फंसे कमलनाथ
जानकारों का कहना है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। सरकार बसपा और निर्दलियों के सहारे चल रही है ऐसे में पार्टी के भीतर की खेमेबाजी कमलनाथ के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है। सिंधिया समर्थक विधायकों ने दिल्ली में उनके घर के सामने विरोध करते हुए कहा है कि अगर सिंधिया को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो वो सरकार के खिलाफ वोटिंग करेंगे। वहीं, मंत्री नहीं बनाए जाने के दिग्विजय सिंह खेमे के कई विधायक नाराज हैं और उन्होंने राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाकात की है। एंदल सिंह कंसाना और केपी सिंह दिग्विजय सिंह के समर्थक माने जाते हैं लेकिन मंत्री मंडल में दोनों ही नेताओं को जगह नहीं मिली जिसके बाद दोनों ही नेताओं ने सिंधिया पर आरोप लगाया। वहीं, कई विधायक इस्तीफे की धमकी दे चुके हैं तो एक निर्दलीय विधायक ने भी कहा है कि हमें पांच दिनों के अंदर कैबिनेट में शामिल किया जाएगा क्योंकि हमारे समर्थन के बिना कांग्रेस की सरकार नहीं चल सकती है।
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