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MP में बड़ा सियासी बदलाव, भाजपा को हो सकता है अब तक का सबसे बड़ा नुकसान

locationभोपालPublished: Jul 18, 2018 01:10:32 pm

Submitted by:

Manish Gite

MP में बड़ा सियासी बदलाव, भाजपा को हो सकता है अब तक का सबसे बड़ा नुकसान

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MP में बड़ा सियासी बदलाव, भाजपा को हो सकता है अब तक का सबसे बड़ा नुकसान


भोपाल। मध्यप्रदेश में बसपा के साथ गठबंधन कर कांग्रेस ने राजनीति गर्मा दी है। इसके साथ ही अब सपा से भी नजदीकियां बढ़ने से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इसी सिलसिले में समाजवादी पार्टी के प्रमुख एवं उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भोपाल पहुंच रहे हैं।

पंद्रह सालों से सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस ने बसपा के बाद अब सपा से मुलाकात करने से पहले ही राजनीति गर्मा दी है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव के साथ कमलनाथ की यह मुलाकात अहम साबित हो सकती है।

 

दो दिन गर्माएगी राजनीति
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में दो दिनों तक राजनीति गर्माने के आसार हैं। हाल ही में बसपा के साथ गठबंधन तय कर कांग्रेस काफी उत्साहित है, वहीं अब समाजवादी पार्टी के मुखिया के भोपाल आने और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के साथ उनकी संभावित मुलाकात को लेकर अटकलें लग रही हैं।

कमलनाथ और अखिलेश की होगी खास मुलाकात
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली से बुधवार शाम को भोपाल पहुंच रहे हैं। वहीं दूसरे दिन गुरुवार को सुबह समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पहुंच जाएंगे। माना जा रहा है कि गुरुवार को दोनों दिग्गजों की मुलाकात हो सकती है। इस मुलाकात के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। बसपा के बाद समाजवादी पार्टी के साथ भी गठबंधन से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसे मुलाकात को आने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी और 2019 के लोकसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

 

पूर्व राज्यपाल से भी करेंगे मुलाकात
इस दौरान गुरुवार को अखिलेश यादव पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी से मुलाकात करेंगे। इस दौरान कुछ खास मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है।

-इसके बाद 20 जुलाई शुक्रवार को अखिलेश यादव कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव के साथ भोज में शामिल होंगे।
MP में यह है स्थिति
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का विंध्य, बुंदेलखण्ड और ग्वालियर-चंबल संभाग के 14 जिलों में प्रभाव है। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा चार सीटों पर चुनाव जीती थी। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में 62 सीटें ऐसी रहीं जहां बसपा प्रत्याशी ने 10 हजार से ज्यादा और 17 सीटों में 30 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। इसी ताकत के बल पर कांग्रेस पार्टी बसपा से गठबंधन चाहती है।
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