मौत एक मध्यांतर
अगली प्रस्तुति मौत एक मध्यांतर की हुई। नाटक में भावना तहलियानी ने एकल प्रस्तुति दी। बीस मिनट की इस प्रस्तुति में एक घर में पति और पत्नी रहते हैं। पति को अंतिम चरण का पेन्क्रियास कैंसर हो जाता है। पति का दर्द और दुख देखकर पत्नी बहुत रोती है। तब पति कहता है कि तुम अपना जीवन अच्छे से व्यतित करो, किसी के मरने से उम्र कम नहीं होती और कोई जीना नही छोड़ता है।
जीवन में एक पल का भरोसा नहीं, संग्रह सौ साल का करते हैं
कार्यक्रम में लघु कथा का पाठ किया गया। इसमें शांति लाल जैन ने व्यंग्य रात जो रात नहीं रही में ट्रेन यात्रा का बारे में बताया। इसके बाद कड़कड़ाती ठंड का पाठ किया। अशोक मनवानी ने सुंदर अगनानी की कहानी सामान सौ बरस का पाठ किया। कथा की शुरुआत सौहार्द की बैठक से होती है। व्यंग्य में बताया गया कि मंच पर सज्जा करते समय भाषण देने, माला पहनाने और अतिथि का स्वागत करने को लेकर आयोजकों में झगड़ा हो जाता है।
वहीं सामान सौ बरस का एक ऐसे बुजुर्ग की कहानी है जो अमीर होने के बाद भी कंजूस होता है। एक दिन उसका सामान एक युवती से होता है। वह समझाती है कि जीवन में अगले पल का भरोसा नहीं है, ऐसे में तुम इतना संग्रह क्यों कर रहे हैं। जीवन को हंसी-खुशी जीओ। युवती उसे समझाती है। जब तीन दिन बाद वह उससे मिलने उसके घर पहुंचती है पता चलता है कि उसकी मौत हो चुकी है।