इससे होने वाली आमदनी से वे अपनी छोटी-मोटी जरूरतों के साथ-साथ परिवार चलाने में पति की मदद करती हैं। प्रशिक्षक ललिता सिंह ने बताया कि यह संस्था पिछले 40 वर्षों से संचालित की जा रही है। यहां महिलाओं को प्रशिक्षण देने के साथ ही भेल व कस्तूरबा अस्पताल के कपड़े सिले जाते हैं।
खूबसूरत पोटली भी बनाई जा रही
वेलफेयर सोसाइटी प्रशिक्षण केंद्र में आने वाली महिलाओं को कपड़े बैग के अलावा विभिन्न तरह के बटुए बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे उन्हें नए-नए हुनर सीखने के साथ ही आगे चलकर सह सब आमदनी का जरिया भी बनता है। इससे महिलाएं हजारों रुपए महीने कमा भी रही हैं।
कई तरह के बनाए जा रहे बैग
प्रशिक्षण केंद्र में आने वाली महिलाओं को विभिन्न तरह के कपड़ों की सिलाई सिखाने के साथ ही तरह-तरह के बैग बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां विभिन्न तरह के बैग बनाए जाते हैं, जिनमें शर्ट रखने का बैग, सब्जी का खंधे वाला थैला, कम्बल रखने का थैला आदि बनाए जाते हैं।
बच्चों के कपड़ों से शुरुआत
सिलाई प्रशिक्षण केंद्र में महिलाएं तरह-तरह के कपड़े सिलने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। इन महिलाओं ने बताया कि यहां पर काफी अच्छे तरीके से सिलाई सिखाई जा रही है। प्रशिक्षक ललिता सिंह द्वारा स्टेप बाय स्टेप अलग-अलग कपड़ों का नाप और डिजाइन बताई जाती है। पहले बच्चों के कपड़ों से प्रशिक्षण की शुरुआत की जाती है। इसके बाद महिलाओं व बड़ों का शर्ट-पैन्ट, कुर्ता-पायजामा आदि सिखाया जाता है।
सभी तरह के बैग सिखाते हैं
नौ महीने तक चलने वाले प्रशिक्षण में इन्हें सप्ताह में तीन दिन सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को प्रशिक्षण दिया जाता है। बाकी दिन घर पर पै्रक्टिस करने को कहा जाता है, ताकि ये महिलाएं बेहतर तरीके से सीख और समझ सकें। इन्हें सलवार सूट, लहंगा, ब्लाउज, बच्चों कपड़ों के साथ ही पुरुषों के लिए शर्ट-पैन्ट, कुर्ता-पायजामा के साथ ही साड़ी बैग, कम्बल बैग, राउंड बैग, शर्ट बैग के साथ ही सफर बैग का प्रशिक्षण देते हैं।
पिछले पांच महीने से यहां प्रशिक्षण लेने आ रही हूं। अब तक काफी काम आने लगा है। यहां आने से पहले मशीन चलाना तक नहीं आता था। अब बच्चों सहित बड़ों के भी कपड़े सिल रही हूं।
लीजा दास, रहवासी अवधपुरी
यहां आने से पहले मशीन चलाना तक नहीं आ रहा था। लेकिन यहां आने के बाद अब तक काफी कुछ सीख चुकी हैं। यहां दिया जा रहे बेहतर प्रशिक्षण से बच्चों के साथ ही अन्य कपड़े सिल रही हूं।
प्रीति चतुर्वेदी, रहवासी बरखेड़ा विजय मार्केट
सिलाई प्रशिक्षण केंद्र से हमने नौ महीने का प्रशिक्षण लेने के बाद अब खुद का व्यवसाय कर रही हूं। महीने में 5-6 हजार रुपए कमा लेती हूं। इससे परिवार चलाने में काफी मदद मिल जाती है।
आशा कारपेंटर, रहवासी पिपलानी