scriptAlvida 2019: मध्यप्रदेश के माथे पर लगा ये कलंक, एक नंबर वाले से सबसे ज्यादा हुई बदनामी | Alvida 2019: Due to these incidents, Madhya Pradesh has got big infamy | Patrika News

Alvida 2019: मध्यप्रदेश के माथे पर लगा ये कलंक, एक नंबर वाले से सबसे ज्यादा हुई बदनामी

locationभोपालPublished: Dec 31, 2019 04:14:25 pm

Submitted by:

Muneshwar Kumar

हनीट्रैप मामले में नए साल में और खुलासे की है उम्मीद

03_2.png
भोपाल/ मध्यप्रदेश ने साल 2019 में कई उपलब्धियां हासिल कीं लेकिन इन्हीं उपलब्धियों के बीच मध्यप्रदेश के ऊपर कुछ ऐसे दाग भी लगे, जिसकी वजह से राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश की किरकिरी हुई। उन दागों में से कुछ के दाग आज भी धुले नहीं हैं। 2019 के ऐसे सारे दागों के बारे में हम आपको बताएंगे लेकिन सबसे पहले बात हनी ट्रैप की।
1. 18 सितंबर 2019 को रात नौ बजे के बाद भोपाल के गोविंदापुरा पुलिस स्टेशन में अचानक से गहमागहमी बढ़ जाती है। पुलिस एक-एक कर तीन महिलाओं और दो पुरुष को थाने लेकर पहुंचती है। साथ में मध्यप्रदेश एटीएस की टीम भी वहां मौजूद थी। इन महिलाओं की गिरफ्तारी भोपाल के मिनल रेसिडेंसी और रिवेरा टाउनशिप से हुई थी। आधी रात को पुलिस अफसर मीडिया के सामने आकर कहते हैं कि इनकी गिरफ्तारी हनीट्रैप मामले में हुई। सफाई दी गई है कि इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह का अश्लील वीडियो बनाकर ये लोग तीन करोड़ रुपये की रकम की मांग कर रहे थे। रकम लेने गई आरती दयाल, मोनिका और उसके दो पुरुष साथियों को इंदौर पुलिस ने वहीं गिरफ्तार कर लिया। भोपाल से श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वपनिल जैन और बरखा सोनी को गिरफ्तार किया गया।
इनकी गिरफ्तारी के बाद मध्यप्रदेश की सियासत में हड़कंप मच गया। खबरें आने लगीं कि इनके पास कई पूर्व सीएम, सरकार के मंत्री, पूर्व सांसद, विधायक और पूर्व मंत्रियों के अश्लील वीडियो हैं। सियासतदानों के साथ-साथ सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को भी इन हसीनों ने अपने हुस्न की जाल में ट्रैप कर लिया था। कुछ के वीडियो भी वायरल हुए।

जीती थीं लग्जरी लाइफ
गिरफ्तारी के बाद इनके पास से मर्सिडीज और ऑडी जैसी महंगी गाड़ियां और पॉश इलाकों में फ्लैट मिले। जिनकी कीमत करोड़ों रुपये में आंकी गईं। साथ ही लाखों रुपये कैश भी इनके पास से मिले थे। जांच में यह बात सामने आई है कि हनीट्रैप के पैसों से ही ये लोग रईस बने थे। जांच में यह भी बात सामने आई है कि फंसे लोगों के पैसों से हसीन परियों ने विदेश दौरे भी खूब किए।
ऐसे खुलासे होते रहे और पुलिस मुख्यालय की तरफ से इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया गया। पहले चीफ श्रीनिवास वर्मा बना गए, वह जांच शुरू ही करते कि उनकी जगह संजीव शमी को चीफ बना दिया गया। हर दिन एक से बढ़कर एक खुलासे हो रहे थे। मध्यप्रदेश एटीएस भी इसके लपटे में आ गई। तत्कालीन एटीएस चीफ और प्रदेश के डीजीपी आपस में भीड़ गए। तत्कालीन एटीएस चीफ प्रदेश के डीजीपी पर चरित्र हनन का आरोप लगाया।
विवाद काफी बढ़ गया था सीएम कमलनाथ तक बात पहुंची। प्रदेश के सीनियर अधिकारियों को बुलाकर उन्होंने हड़काया। उसके बाद उन्होंने मामले की जांच के लिए गठित पुरानी एसआईटी को भंग कर दिया। एक अक्टूबर को राजेंद्र कुमार को नया एसआईटी चीफ बना दिया गया। उसके बाद मामले की जांच शुरू हुई। पुलिस ने आरोपियों के पास से करीब हजारों फाइलें जब्त कीं। जिसमें वीडियो और ऑडियो क्लिप हैं।
बताया जा रहा है कि आरोपियों के पास से बरामद ऑडियो और वीडियो क्लिप प्रदेश के नेताओं और अफसरों के हैं। एसआईटी सबकुछ अपने कब्जे में लेकर इन्हें फॉरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा है। इस बीच कुछ नेताओं को वीडियो क्लिपस और अफसरों के ऑडियो क्लिप वायरल भी हो गएं। जिन्हें नेताओं के वीडियो वायरल हुए वे बीजेपी से जुड़े थे। इसके बाद सियासी महकमे में खलबली और बढ़ गई। बीजेपी कांग्रेस की सरकार पर यह आरोप लगाने लगी कि मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं हो रही है। कुछ लोग इसकी जांच सीबीआई से करवाने की मांग भी करते रहे। 17 दिसंबर को पुलिस ने कोर्ट में आरोपियों के विरुद्ध चालान जम कर दिया है। सैकड़ों पन्ने के इस चालान में कई खुलासे हुए हैं। जिसमें कई नए किरदारों के नाम भी सामने आए हैं। सभी आरोपी इंदौर जेल में बंद हैं। लगातार जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी लगा रही हैं लेकिन राहत नहीं मिल रही है।
2. अब बात मिलवाटखोरी की। कई वर्षों से मध्यप्रदेश के लोगों की सेहत से खिलवाड़ होता रहा। 2019 में इस राज से पर्दा उठा तो प्रदेश के लोग हैरान रह गए। 19 जुलाई 2019 को मिलावटखोरों के खिलाफ मध्यप्रदेश एटीएस ने सबसे बड़ी कार्रवाई की। भिंड, मुरैना और ग्वालियर जिले में नकली दूध और मावा बनाने वाले लोग पर कार्रवाई हुई और 57 लोगों की गिरफ्तारी हुई। इनके पास से हजारों लीटर सिंथेटिक दूध और मावा बरामद किया गया।
ये दूध यूरिया, सैंपू और केमिकल से तैयार होता था। जिसकी सप्लाई डेयरी और शहर के होटलों में होता था। यहीं नहीं इनसे पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि ये लोग सिर्फ मध्यप्रदेश की सेहत से ही नहीं बल्कि दूसरे छह राज्यों में भी नकली डेयरी प्रोडक्ट की सप्लाई करते थे। कई लोग नकली दूध बेचकर चंद सालों में ही करोड़पति बन गए थे।
एसटीएफ और खाद्य विभाग की टीम ने नकली दूध के कारोबारियों के खिलाफ चंबल के इलाके में ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू की। सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया। इतने बड़े पैमाने पर जब मिलावट की बात सामने आने लगी। सीएम कमलनाथ ने इस पूरे मामले पर संज्ञान लिया। जुलाई के बाद से हुई कार्रवाई का रिव्यू किया। 23 जुलाई को सीएम ने प्रदेश में मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दे दिए। साथ ही उन्होंने कह दिया कि मिलावटखोरों के खिलाफ रासुका लगेगा।
सीएम के निर्देश के बाद प्रदेश में मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर समेत तमाम शहरों में व्यापक कार्रवाई शुरू हुई। डेयरी प्रोडक्ट से लेकर मसालों तक में बड़े पैमाने पर प्रदेश में मिलावट हो रही थी। सरकार की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद प्रदेश में हड़कंप मच गया। इसके बाद मिलावटखोरी के मामलों में कमी जरूरी आई लेकिन बंद नहीं हुआ। प्रशासन की शख्ती के बावजूद प्रदेश के किसी न किसी हिस्से से आज भी मिलावटखोरी मामले में कार्रवाई की बात सामने आती है।
मिलावटखोरी पर कार्रवाई को लेकर सियासत भी खूब हुई। बीजेपी आरोप लगाती रही कि कार्रवाई में पक्षपात हो रही है। फिर भी कार्रवाई नहीं रुकी। त्यौहारी मौसम यानी दशहरा और दिवाली में मिलावटखोरों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई। फिर भी मिलावटखोर नहीं माने। दिसंबर महीने में सांची जैसे ब्रांड के दूध टैंकर में ही मिलावटखोरी का मामला सामने आया है। जिसे में दुग्ध संघ ने ठेके पर कार्यरत कर्मचारियों पर कार्रवाई की है। सरकार का दावा है कि मिलावटखोर नहीं बचेंगे।
वहीं प्रदेश में जुलाई से लेकर दिंसबर तक खाद्य सामग्रियों में मिलवाट करने वाले 40 से अधिक लोगों पर रासुका लगाई गई। उम्मीद है कि प्रदेश के लोगों को 2020 तक मिलावटखोरी से मुक्ति मिल जाए।
3. मिलावट और हनीट्रैप के अलावे मध्यप्रदेश की बदनामी रेप की घटनाओं को लेकर भी हुई है। अक्टूबर 2019 में एनसीआरबी की आई रिपोर्ट प्रदेश के लिए शर्मनाक था। मध्यप्रदेश रेप की घटनाओं को लेकर पूरे देश में पहले पायदान पर था। एनसीआरबी के द्वारा जारी आंकड़े 2017 के हैं। इस साल अकेले मध्यप्रदेश में 5599 बलात्कार के मामले आए। ये आंकाड़ा 2016 के मुकाबले 14.6 फीसदी ज्यादा था। 2016 में मध्य प्रदेश में 4882 मामले दर्ज किए गए थे।
इस रिपोर्ट के आने के बाद मध्यप्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे। बीजेपी और कांग्रेस में आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। सीएम कमलनाथ ने कहा कि ये हमें विरासत में मिली है। इस दाग को मध्यप्रदेश के मत्थे से हटाना है। लेकिन हाल के दिनों बेटियों के साथ घटी घटनाओं को लेकर बीजेपी ने सरकार को घेर लिया। क्योंकि साल 2019 में भी रेप की कई दिल दहला देने वाली वारदातें सामने आईं। जिसमें बच्चियों के साथ बर्बरता की कहानी ज्यादा थी।
4. बलात्कार ही नहीं आंतकियों से भी मध्यप्रदेश के 2019 में मध्यप्रदेश के तार जुड़े। जुलाई 2019 में यूपी एटीएस ने सौरभ नाम के एक युवक को प्रयागराज से गिरफ्तार किया। जो मध्यप्रदेश के सीधी का रहने वाला था। सुरक्षा एंजेंसियों के अनुसार वह पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों के लिए फंडिग का काम करता था। वह मध्यप्रदेश कई बार आया लेकिन यहां कि एजेंसियों को भनक तक नहीं लगी।
आतंकियों के तार जुड़ने का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। अगस्त 2019 में एनआईए ने इंदौर से वर्धमान ब्लास्ट के आरोपी जहीरूल शेख को गिरफ्तार किया। जो कई वर्षों से रह रहा था। यहीं नहीं सतना से भी मध्यप्रदेश एटीएस ने अगस्त महीने में पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करते थे। इनकी गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि पैसे लेकर आईएसआई के लिए बीजेपी और आरएसएस के लोग काम करते हैं। इस पर विवाद भी खूब हुआ।
दिसंबर महीने में खलबली तब मच गई जब होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी स्थित आर्मी प्रशिक्षण केंद्र से दो इंसास राइफल की चोरी हो गई। पुलिस ने कुछ दिन बाद ही उन्हें पंजाब के होशियारपुर जिले से गिरफ्तार कर लिया। जिनके तार खालिस्तानी आतंकियों से जुड़ रहे हैं। इसे लेकर भी एमपी पुलिस की किरकिरी हुई। तो इसी महीने बुरहानपुर से भी एक सिमी आतंकी को एटीएस ने गिरफ्तार किया है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो