लालमाटी गांव में एक आदिवासी परिवार रोज 40 किलो आटे की रोटियां खा जाता है। खाने में रोज दस किलो चावल, पांच किलो दालें और आधा पैकेट नमक भी लगता है।
big indian family
पीयूष तिवारी@खंडवा. लालमाटी गांव में एक आदिवासी परिवार रोज 40 किलो आटे की रोटियां खा जाता है। खाने में रोज दस किलो चावल, पांच किलो दालें और आधा पैकेट नमक भी लगता है। आटे की अधिक खपत की वजह से चक्की भी घर में ही लगा रखी है।
इस परिवार की सभी बहुएं मिलकर खाना बनाती हैं और पुरुष खेती करते हैं। परिवार में कुल 80 सदस्य हैं और सब पर 75 वर्षीय दादी का कंट्रोल रहता है। दादी की परमिशन के बिना घर का पत्ता भी नहीं हिलता है। जिले के सिंगोट क्षेत्र के लालमाटी गांव में यह परिवार महिला सशक्तिकरण के लिए पहचाना जाता है। 80 सदस्यों के इस संयुक्त परिवार की मुखिया मेलादी बाई (75) हैं। उनकी अनुमति के बिना कोई निर्णय नहीं होता।
मां के आदेश को कोई नहीं ठुकराता
25 वर्ष पूर्व पति नरेन्द्र के निधन के बाद दादी ने परिवार संभाला। मेलादीबाई के नौ बेटे और एक बेटी है। सबसे बड़े बेटे नखलिया दादी के साथ परिवार के सभी निर्णय लेते हैं। परिवार का प्रत्येक सदस्य दोनों की अनुमति के बिना कोई कार्य नहीं करता है। मां और बड़े भाई ने जो कह दिया वह न्यायालय के आदेश से कम नहीं होता है।
परिवार में 25 भैंस, 50 गाय, 14 बैल के अलावा दो ट्रैक्टर हैं। सबसे बड़ी बात घर के सभी सदस्य दादी के साथ हॉल में एक साथ ही बैठकर टीवी देखते हैं। परिवार का सबसे छोटा बेटा नंदराम ही सबसे अधिक पांचवी तक पढ़ा है। बाकी सब पांचवीं फेल हैं। एक पोता है जो 11वीं में पढ़ रहा है।
ऐसा है पूरा कुनबा
मेलादी बाई की एक बेटी और 9 बेटा। 9 बेटों की 9 पत्नियां हैं। 9 बेटों से 21 पुत्र और 19 पुत्रियां हैं। परिवार के दोनों बड़े बेटे नखलिया और मगन हैं। इसमें नखलिया के चार बेटे जिनकी शादियों के बाद पत्नी समेत कुल 23 सदस्य हो गए हैं। जबकि मगन के चार बेटों में से दो की शादी हुई है। जिनके पत्नी सहित छह बेटे हैं। इस तरह पहली पीढ़ी में एक, दूसरी पीढ़ी में 19, तीसरी पीढ़ी में 46 और चौथी पीढ़ी में 23 बच्चे हैं। इस तरह कुल 89 सदस्य हैं। इनमें नौ लड़कियों की शादी हो चुकी है। इससे अब 80 सदस्य ही बचे हैं।
सबमें बराबर बंटती है कमाई
पति के मरने के बाद भी आज तक परिवार में पैसों को लेकर कोई विद्रोह नहीं हुआ। सभी मिल-जुलकर रहते हैं। जो कमाई होती है, खर्च के हिसाब से सबको बराबर बांट दिया जाता है। जो बचता है उसे एक जगह रख देते हैं। उससे घर में शादी, अन्य कार्य और खेती करते हैं।