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बंदर हीरा प्रोजेक्ट में अंबानी, अडानी, फ्यूरा और वेदांता ग्रुप ने दिखाई रुचि

locationभोपालPublished: Jun 30, 2019 12:45:16 am

60 हजार करोड़ रुपए का है प्रोजेक्ट, 50 साल के लिए लीज पर दी जाएंगी हीरा खदान

Ambani and Adani group have shown interest in the diamond project

Ambani and Adani group have shown interest in the diamond project

भोपाल. करीब 60 हजार करोड़ रुपए के हीरे के भंडार वाले बंदर हीरा प्रोजेक्ट पर अंबानी, अडानी, वेदांता और फ्यूरा जेम्स जैसे नामी उद्योगपतियों की नजर है। छतरपुर जिले की बक्सवाहा तहसील में स्थित बंदर हीरा प्रोजेक्ट का ये कंपनियां अपने तकनीकी स्टाफ से निरीक्षण करा चुकी हैं। इन्होंने इस इलाके की रियो टिंटो कंपनी द्वारा तैयार कराई गई अध्ययन रिपोर्ट का भी परीक्षण किया है। वहीं, यह प्रोजेक्ट छोडऩे वाली रियो टिंटो ने फिर से रुचि दिखाई है। कंपनी की मशीनरी और स्टाफ अभी भी बक्सवाहा तहसील क्षेत्र में है।

खनिज साधन विभाग ने हीरा खदानों की नीलामी की तैयारी पूरी कर ली है। अफसरों ने नियम और शर्तें तैयार कर उसका विधि विभाग से परीक्षण भी करा लिया है। बंदर हीरा प्रोजेक्ट हीरा उत्खनन के लिए 50 साल के लिए लीज पर दिया जाएगा। हीरा का उत्खनन कंपनी सिर्फ 350 मीटर गहराई में ही कर सकेगी। इससे अधिक गहराई पर उत्खनन करने के लिए कंपनी को राज्य सरकार से अलग से अनुमति लेनी पड़ेगी। रियो टिंटो के आकलन के अनुसार, यहां 60 हजार करोड़ मूल्य से अधिक का हीरा है। पारदर्शिता के लिए हीरे के उत्खनन और उसकी हर प्रक्रिया कैमरे की निगरानी व एक्सरे मशीन से होकर गुजरेगी। कंपनी को खदान के अंदर 24 घंटे हर गतिविधि की रिकॉर्डिंग कराना होगी। इसकी एक प्रति सरकार को भी उपलब्ध कराई जाएगी।

दो बार में की जाएगी खदान की नीलामी

खदान की नीलामी दो बार की जाएगी। पहली बार बोली में जो कंपनियां टॉप-थ्री रहेंगी, उन्हें ही अगली नीलामी में शामिल किया जाएगा। तीन से कम कंपनियां शामिल होने पर दोबारा टेंडर जारी किया जाएगा। बोली लगाने से पहले कंपनियों को आफसेट मूल्य 60 हजार करोड़ रुपए की 5 प्रतिशत राशि जमा करानी होगी। कंपनी से हीरा के विक्रय मूल्य पर 11 प्रतिशत रायल्टी वसूली जाएगी। हीरे की पहली बोली प्रदेश में लगेगी, अगर यहां हीरा नहीं बिकता है तो कंपनी कहीं भी बेच सकेगी।

6 सौ करोड़ की कंपनी होना जरूरी

हीरा उत्खनन का ठेका उसी कंपनी को दिया जाएगा, जिसकी नेट वर्थ 600 करोड़ होगी। उसे टेंडर में अंतिम बैलेंसशीट देना पड़ेगी। टेंडर में विदेशी कंपनियां हिस्सा नहीं ले सकेंगी। विदेश की कंपनियां अगर यहां काम कर रही हैं तो उन्हें ज्वाइंट वेंचर वाली कंपनी में 58 प्रतिशत शेयर लगाना पड़ेगा। साथ ही हीरे की चोरी रोकने के लिए जियो टैगिंग होगी। इससे हीरा जहां भी ले जाया जाएगा, उसकी लोकेशन का पता चल जाएगा। खदान के मुख्य द्वार पर स्कैनर लगेगा, ताकि वहां काम करने वाले खदान से हीरा सहित अन्य वस्तु को बाहर न ले जा सकें।

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