एनएचएम ने जिकित्जा के इस फर्जीवाड़े को पकड़ कर विभागीय अधिकारियों को जांच के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि इस पूरे फर्जीवाड़े को पत्रिका ने उजागर किया था। एक अगस्त के अंक में पत्रिका ने ‘24 घंटे में 700 किमी दौड़ रही जिकित्जा की एंबुलेंस’ शीर्षक से प्रकाशित खबर में बताया था कि पिछोर, राजगढ़, सागर, सिवनी शाजापुर सहित अन्य जिलों की एंबुलेंस एक महीने में 18 से 22 हजार किमी चल रही हैं।
जांच के दिए आदेश एनएचएम ने सभी जिलों के सीएमएचओ को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि वे अपने जिलों में चल रही जननी की रिपोर्ट का भौतिक सत्यापन करें। पत्र में पिछोर में चल रही एंबुलेंस का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि एक महीने में एंबुलेस 22 हजार किमी चल रही है यह संदेहास्पद है। विभाग ने इसकी जांच करने को कहा है।
ambulance scams – राजस्थान में भी किया था फर्जीवाड़ा यह पहला मौका नहीं है जब जिकित्जा हेल्थ केयर ने फर्जीवाड़ा किया हो। कंपनी ने राजस्थान में भी इसी तर्ज पर बड़ा घोटाला किया था। इसका खुलासा होने पर वहां की सरकार ने तीन साल पहले कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है।
यह था मामला जिकित्जा हेल्थ केयर के जून माह के जननी एक्सप्रेस के रनिंग स्टेटस से इस मामले का खुलासा हुआ था। रिपोर्ट में एक-एक जननी ने एक महीने में 20 से 22 हजार किमी की रनिंग स्टेटस दिखाया था। यही नहीं जिकित्जा ने भी इसे मानकर सरकार के पास पैसे लेने भेज दिया। जबकि प्रसूताओं को पास के जिला अस्पताल में ही पहुंचाना है तो यह गाडिय़ां हर रोज 700 किमी कैसे और कब चल लीं।
यह रुटीन प्रोसेस है। हमने जिलों से जननी द्वारा दी गई रनिंग स्टेटस को लेकर भौतिक सत्यापन करने को कहा है, जो गलत होगा उस पर कार्रवाई होगी।
डॉ. ब्रजेश सक्सेना, मुख्य प्रशासकीय अधिकारी, एनएचएम
डॉ. ब्रजेश सक्सेना, मुख्य प्रशासकीय अधिकारी, एनएचएम