scriptनरेला में डे्रनेज के लिए बनाने थे दो मीटर ऊंचे नाले, बनीं 30-40 सेमी की नालियां | Amrit Project | Patrika News

नरेला में डे्रनेज के लिए बनाने थे दो मीटर ऊंचे नाले, बनीं 30-40 सेमी की नालियां

locationभोपालPublished: Jan 28, 2019 01:54:11 am

Submitted by:

Ram kailash napit

अमृत प्रोजेक्ट में गड़बड़ी के चलते मानसून में भरेगा पानी, कई इलाके डूबेंगे बाढ़ में

news

Amrit Project

भोपाल. मानसून में आपके घर, कॉलोनी, मोहल्ले में पानी नालों से निकल जाए इसके लिए केंद्र सरकार की मदद से शहर में 130 करोड़ मंजूर हुए थे। इससे दो मीटर ऊंचे और सात मीटर चौड़े नाले बनाने थे, पुराने नालों को दुरुस्त करना था, लेकिन नगर निगम के जिम्मेदार इंजीनियरों ने 30 से 40 सेंटीमीटर ऊंचाई, चौड़ाई वाली नालियां बना दीं।
इन नालियों में 80 फीसदी तक राशि खर्च कर दी। सबसे अधिक नाले नरेला विधानसभा में मंजूर हुए थे। यहां करीब 105 करोड़ रुपए की राशि से पंजाबी बाग, अशोका गार्डन, अशोका विहार, द्वारका नगर, सेमरा, रचना नगर, अन्ना नगर, ऐशबाग, बाग उमराव दुल्हा सहित संबंधित क्षेत्रों में लोकल ठेकेदारों से छोटी-छोटी नालियां बनवा दी गईं। आप यहां हकीकत देख सकते हैं। इस गड़बड़ निर्माण से बारिश में 4 लाख की आबादी प्रभावित होगी।

अमृत में नालों का ही प्रावधान
अमृत मिशन की गाइडलाइन में नालियों का प्रावधान नहीं है। वर्षा जल निकासी वाले नालों के निर्माण के नाम पर ही केंद्र से राशि मंजूर हुई है। अमृत में सीवरेज सिस्टम का जिक्र है, जो अलग तरह से बनता है।

जलभराव से राहत नहीं
130 करोड़ खर्च होने के बावजूद जलभराव से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। नालियां गली का पानी तक नहीं निकाल पाएंगी। इन्हें बड़ा नाला बनाकर चैनेलाइजेशन नहीं किया तो पानी ठहरा रहेगा। शहर में जलभराव की स्थिति बनती है। बारिश के समय महापौर को सेफिया कॉलेज रोड पर घुटने तक भरे पानी में कुर्सी डालकर बैठने की नौबत आ गई थी।

नरेला के लिए दिए गए थे 105 करोड़ रुपए
नरेला विधानसभा के चांदबड़, सेमरा, स्टेशन क्षेत्र से लेकर द्वारका नगर में पातरा नाले से काफी पानी आता है। शहर के 70 फीसदी क्षेत्रों का बारिश का पानी यहां आता है और जलभराव की स्थिति बनती है। साल 2006 में बाढ़ का पानी मकानों की पहली मंजिल तक पहुंच गया था। ऐसे में नए नाले बनाकर या पुराने को दुरुस्त कर आपस में जोड़कर बारिश के पानी की निकासी व्यवस्था मजबूत करने यहां 105 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की थी।

इन्हें करनी थी मॉनीटरिंग
अमृत प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन का जिम्मा अधीक्षण यंत्री पीके जैन के साथ क्षेत्रीय सहायक यंत्री के पास है। इन्हें इसे देखना था, लेकिन मनमर्जी से काम कराने में इन्होंने सहमति दी। इससे नाले की जगह नालियां बन गई। जैन से जब इस गड़बड़ी की वजह पूछी गई तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया। पंजाबी बाग के रहवासियों के विरोध के बाद जांच हुई, काम रद्द भी किए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। नियमों से हटकर काम करने के बावजूद भुगतान भी कर दिया गया।

पहले भी हुआ है ऐसा
केंद्र सरकार की जेएनएनयूआरएम स्कीम के तहत शहर के 11 नालों के चैनेलाइजेशन का दावा किया गया था। इस पर 136 करोड़ रुपए खर्च किए थे, लेकिन स्थिति ये है कि ये नाले आपस में अब तक नहीं जुड़ पाए हैं। बारिश में दिक्कत होती है।

हम सारे प्रोजेक्ट्स का रिव्यू करवा रहे हैं। इसमें अमृत भी है। भोपाल के रिव्यू में हम इस पर फोकस करेंगे। गड़बड़ी के लिए जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।
प्रमोद अग्रवाल, पीएस, नगरीय प्रशासन
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो