देढ़ साल पहले शुरु हुआ था अभियान
आपको बता दें कि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अभियान की शुरुआत 14 जनवरी 2017 यानि मकर संक्रांति के मौके पर बड़ी धूमधाम से की थी। राजधानी के टीटी नगर स्टेडियम में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के कई मंत्रियों की मौजूदगी में प्रदेश के कई ज़िलों में वीडियों कान्फ्रेंस के जरिए इसकी शुरुआत की थी। इस दौरान सीएम ने इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन और जबलपुर के केन्द्रों को संबोधित करते हुए वहां के लोगो से इन केन्द्रों के महत्व को लेकर बातचीत भी की थी। सीएम ने वहां मौजूद मंत्रियों, अफसरों, सामाजिक संगठनों और उद्योगपतियों से भी इन केन्द्रों के हित के लिए यानि ग़रीबों के हित के लिए बढ़-चढ़ कर सहयोग करने की बात भी रखी थी।
प्रदेश के सभी केन्द्रों की हालत चिंतनीय
केन्द्रों को लेकर बिगड़े हालात सिर्फ राजधानी के ही बिगड़े हुए नहीं है, बल्कि प्रदेश भर में खोले गए करीब पौने दो सौ केन्द्र कमोबेश बुरी स्थिति में हैं, इनमें आधे से ज्यादा केन्द्र तो एक साल होने से पहले ही दम तोड़ चुके है। बचे कुचे केन्द्रों की व्यवस्था भी काफी डगमग है। राजधानी भोपाल में छह केन्द्रों की शुरुआत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने हाथों से की थी, लेकिन अब उनमें से सिर्फ दो केन्द्र ही संचालित हैं। इनमें एक केन्द्र संजय तरण पुष्कर कोहेफिजा पर स्थित है और दूसरा कॉन्सेप्ट स्कूल टीटी नगर पर स्थित है, इसलिए जिला प्रशासन की ओर से गोविंदपुरा, स्वर्ण जयंती पार्क, बैरागढ़ और पॉलिटेक्निक चौराहा स्थित केन्द्रों की तालाबंदी की औपचारिक घोषणा कर दी गई। पिछले आठ महीने में इन चारों बंद किए जाने वाले केंद्रों में एक भी राहत सामग्री नही आई थी।
अच्छी सोच पर लगा ताला
इन केन्द्रों की शुरुआत करने का मकसद यह था कि, अमीर की बची हुई चीज़ गरीब के काम आ जाए। यह अनूठा प्रयोग देश में पहली बार किया गया था। इसके पीछ सीएम शिवराज की धारणा यह थी कि, समाज के संपन्ना लोग अगर उनके पास बची चीजों को दान के तौर पर सरकार द्वारा बनाए इन केन्द्रों पर छोड़ जाएं। जैसे कपड़े, बर्तन, बिस्तर, फर्नीचर, या कोई भी घरेलू इस्तेमाल में ली जाने वाली चीज। वही, जिन लोगों को उन चीजों की जरूरत हो वह उन चीजों को केन्द्रों से ले जाएं। शुरुआत में तो, इसके काफी बढ़िया परिणाम देखने में आए लेकिन धीरे धीरे लोगों का उत्साह कम होने लगा, जो आज एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है।