प्रदेश में अब तक 16 लाख 30 हजार 587 पशुओं का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है। ये संख्या देश के सभी राज्यों से ज्यादा है यानी इस पंजीकरण में मध्यप्रदेश अव्वल नंबर पर है। प्रदेश में करीब दो करोड़ घरेलू पशु हैं जिनका पंजीयन किया जाना है। जबकि दस लाख से ज्यादा बेसहारा गौवंश है जिनको इसमें शामिल नहीं किया गया है। इससे पहले सरकार स्वाइल हेल्थ कार्ड यानी मृदा स्वास्य कार्ड बना चुकी है जिसमें किसानों के खेतों की मिट्टी की पूरी जानकारी होती है। इसी तर्ज पर सरकार अब पशु स्वास्थ्य कार्ड तैयार कर रही है।
देश में पशु टैगिंग की स्थिति :
मध्यप्रदेश पशु टैगिंग के मामले में पूरे देश में नंबर एक पर है। प्रदेश में अक्टूबर 2019 यानी अब तक 149658 विदेशी और क्रॉस ब्रीड की गायों का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है। देशी नस्ल की गायों में 733329 को टैग लगाया जा चुका है। प्रदेश में 747600 भैंसों की भी टैगिंग की जा चुकी है। इस तरह मध्यप्रदेश में ये संख्या 16 लाख से ज्यादा हो जाती है। कर्नाटक में साढ़े 4 लाख, गुजरात में साढ़े तीन लाख, राजस्थान में तीन लाख और छत्तीसगढ़ में 41 हजार पशुओं की टैगिंग की जा सकी है।
ये होगा एनीमल हेल्थ कार्ड का फायदा :
एनीमल हेल्थ कार्ड बनाने के पीछे का मकसद है कि प्रदेश में सभी पशुओं की जानकारी सरकार के पास एक जगह इक_ी हो। इस हेल्थ कार्ड के जरिए पशुओं की सेहत की पूरी जानकारी देखी जा सकती है। सरकार इसके जरिए संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के जरुरी कदम वक्त पर उठा पाएगी। दुधारु पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए भी सरकार किसानों को जानकारी के साथ-साथ मदद भी दे सकती है। गायों के बीमार होने पर उनके कार्ड के जरिए स्वास्थ्य की पूरी हिस्ट्री को जानकर उसका इलाज किया जा सकता है। पशुओं का समय पर टीकाकरण भी किया जाएगा जिसकी इंट्री भी ऑनलाइन करनी होगी। अब टीकाकरण के नाम पर फर्जी डाटा या लापरवाही नहीं की जा सकेगी।
टैग से होगी पशुओं की पहचान :
पशुओं में लगे टैग नंबर से उसके संंबंध में पूरी जानकारी भी ली जा सकती है। पशुओं की संख्या घटने या बढऩे के बारे में विभाग समय-समय पर आंकलन करता रहेगा। पशुओं को पशुपालक बेसहारा नहीं छोड़ पाएगा। पशुपालकों को नया पशु खरीदने या पशु की मृत्यु की जानकारी भी सरकार को देनी होगी।
– पशुओं की सेहत की जानकारी के लिए एनीमल हेल्थ कार्ड बनाए जाएंगे। इससे पशुओं का पूरा डाटा सरकार के पास रहेगा। टैग के जरिए पशु के स्वास्थ्य से जुड़ी पूरी जानकारी सरकार के पास रहेगी जिससे समय पर टीकाकरण और बीमारी का इलाज किया जा सकेगा। इससे दूध उत्पादन बढ़ाने संबंधी सलाह भी किसानों को दी जाएगी। –
मनोज श्रीवास्तव एसीएस, पशुपालन विभाग –