scriptएंटीबायोटिक हो रही बेअसर, इम्युनिटी और किडऩी करती कमजोर, जानें क्या कहते हैं चिकित्सक | Antibiotics getting ineffective, weakening immunity and kidney | Patrika News

एंटीबायोटिक हो रही बेअसर, इम्युनिटी और किडऩी करती कमजोर, जानें क्या कहते हैं चिकित्सक

locationभोपालPublished: Dec 25, 2021 09:39:05 am

Submitted by:

Subodh Tripathi

अगर इनके बेअसर होने की रफ्तार ऐसी ही रही तो कीमोथेरेपी, अंगों का प्रत्यर्पण, जोड़ों का रिप्लेसमेंट और प्रमैच्योर बच्चों की देखभाल बेहद मुश्किल हो जाएगी।

एंटीबायोटिक हो रही बेअसर, इम्युनिटी और किडऩी करती कमजोर, जानें क्या कहते हैं चिकित्सक

एंटीबायोटिक हो रही बेअसर, इम्युनिटी और किडऩी करती कमजोर, जानें क्या कहते हैं चिकित्सक

भोपाल. एंटीबायोटिक का बढ़ते उपयोग के दुष्प्रभाव अब सामने आने लगे हैं, जो एंटीबायोटिक आप रोगों को दूर करने के लिए खाते हैं, वहीं एंटीबायोटिक अधिक मात्रा में लेने पर कुछ ही दिनों बाद वह आपके शरीर पर काम करना बंद कर देती है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इसके अधिक उपयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के साथ ही आपकी किडनी पर भी विपरित असर पड़ता है।

जरा सा बुखार और गले में दर्द हुआ तो तुरंत एंटीबायोटिक खा लिया। सर्दी—जुकाम हुआ तो एंटीबायोटिक ले लिया। इस तरह एंटीबायोटिक दवाओं के मनमाने उपयोग से एंटीबायोटिक बेअसर होते जा रहे हैं। अस्पतालों में हर मर्ज के लिए डॉक्टर एक एंटीबायोटिक जरूर दे रहे हैं। इस पर भी रोक नहीं लग पाई है। एंटीबायोटिक का उपयोग नियंत्रित करने के लिए पॉलिसी जरूर बनी है। लेकिन अभी तक यह लागू नहीं हो पाई है। इससे एंटीबायोटिक के मनमाने और अनियंत्रित उपयोग पर रोक नहीं लग पा रही है। यही हाल रहा तो अधिकांश एंटीबायोटिक असर करना बंद कर देंगे। अगर इनके बेअसर होने की रफ्तार ऐसी ही रही तो कीमोथेरेपी, अंगों का प्रत्यर्पण, जोड़ों का रिप्लेसमेंट और प्रमैच्योर बच्चों की देखभाल बेहद मुश्किल हो जाएगी। हालांकि एनएचएम में हाल ही में हुई एक कार्यशाला में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग को रोकने के लिए पॉलिसी सख्ती से लागू करने की बात कही थी। इसे लागू करने अब तैयारी की बात कही जा रही है।

नए का असर खत्म, लेकिन पुराने एंटीबायोटिक हुए असरकारी
अधिकांश नए एंटीबायोटिक का असर खत्म हो गया है। हालांकि, राहत की बात यह है कि पुराने एंटीबायोटिक जो सालों पहले अप्रभावी हो चुके हैं वे फिर से प्रभावी हो गए हैं। कुछ सालों पहले एम्स में हुए शोध में यह साबित भी हुआ था। सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले एंटीबायोटिक जैसे एंपिसिलीन, एमॉक्सीसिलीन, सिफजोलिन, सिफेप्राइम, सिफ्रिएक्सोन आदि की प्रभाविता 50 प्रतिशत के नीचे पहुंच गई है। वहीं सालों पहले एनेक्टिव होने ये क्लोरेम्फेनिकूल का उपयोग बंद कर दिया गया था, उसकी प्रभाविता अब 63 % तक पाई गई।

विशेषज्ञ की राय
स्वास्थ्य संचालक डॉ. पंकज शुक्ला के मुताबिक एंटीबायोटिक के ज्यादा उपयोग से सबसे बड़ा नुकसान रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होना है। एक अनुमान के मुताबिक जिंदगी में एक हजार से ज्यादा एंटीबायोटिक खाने से किडनी खराब हो सकती है। अगर आपको सौ साल जीना है, तो साल में 10 गोली से ज्यादा न लें। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से छोटी सी बीमारी भी घातक हो जाती है।

यह भी पढ़ें : जानें क्यों मनाते हैं क्रिसमस, 25 दिसंबर को क्यों कहते हैं बड़ा दिन

मांसाहारी लोगों पर ज्यादा बेअसर
चिकन या मांसाहार का ज्यादा सेवन करने वालों पर भी एंटीबायोटिक का असर कम होता है। दरअसल, चिकन या अन्य जानवरों को जल्दी बड़ा करने के लिए इन्हें बड़ी मात्रा में एंटीबायोटिक के इंजेक्शन दिए जाते हैं। इससे यह एंटीबायोटिक मानव शरीर में पहुंच रहे हैं। पशु रोग विशेषज्ञ डॉ.असित श्रीवास्तव के मुताबिक पोल्ट्रीफार्म में चूजों को हर दो दिन में एंटीबायोटिक इंजेक्शन दिया जाता है। इससे चूजे ढाई माह की जगह एक महीने में ही बड़े हो जाते हैं।

यह भी पढ़ें : कोरोना का कहर नहीं थमा तो ऐसे होगी बच्चों की वार्षिक परीक्षा

एम्स के शोध में एंटीबायोटिक्स की प्रभाविकता
एंटीबायोटिक प्रभाविता
कोलिस्टिन 89
इंपीनेम 70
पिपरेसिलीन 64
क्लोरेम्फेनीकूल 63
जेंटामाइसिन 60
एजट्रियोनम 59
सेफ्टाजिडाइम 52
लीवोफ्लोक्सेसिन 52
डोरीपेनम 48
सिफ्रिएक्सोन 46
मीरोपेनम 46
कोट्राइमोक्सेजोल 42
सिफेपाइम 40
सिफेजोलिन 26
एमॉक्सीसिलीन 17
एंपिसिलीन 12

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो