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दो साल से सरकार ने नहीं बुलाए इंजीनियरों से कांट्रेक्टर प्रशिक्षण के लिए आवेदन

locationभोपालPublished: May 22, 2018 11:46:05 am

Submitted by:

Ashok gautam

मुख्यमंत्री युवा इंजीनियर कांट्रेक्टर: प्रचार पर करोड़ो फूंके, सिर्फ २० ठेकेदार बने, अब योजना पर ताला

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भोपाल। सरकार की मुख्यमंत्री युवा इंजीनियर कांट्रेक्टर योजना बुरी तरह से फेल हो गई है। वर्ष २०१४ से २०१६ के बीच करीब १९ हजार आवेदन आए थे, लेकिन रजिस्ट्रेशन के बाद मैदान में कुल बीस युवा इंजीनियर ठेकेदारी के लिए उतरे, और वे भी सफल नहीं हो पाए।

उधर अब सरकार ने भी मुख्यमंत्री युवा इंजीनियर कांट्रेक्टर योजना से अपने हाथ खींच लिए हैं। पिछले दो वर्ष से वर्ष इस योजना के तहत इंजीनियरों को प्रशिक्षण के लिए विज्ञापन ही जारी नहीं किया। लोक निर्माण विभाग ने प्रशिक्षण के संबंध में सरकार को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन वहां अनुमति ही नहीं मिली।

सरकार ने मुख्यमंत्री युवा इंजीनियर योजना के प्रचार प्रसार के लिए करोड़ों रूपए खर्च किया था। योजना के शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने युवा इंजीनियरों को टाटा-बिड़ला बनाने की बात कही थी। लेकिन अब इन प्रशिक्षण प्राप्त ठेकेदारों को काम ही नहीं मिल पा रहा है।

प्रदेश में तीन साल के अंदर 14 सौ से अधिक युवा इंजीनियरों को करोड़ों रूपए खर्च कर ठेकेदारी करने की ट्रेनिंग दी गई थी, जिसमें महज 113 ठेकेदारों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। मजेदार तथ्य यह है कि इसमें से भी रजिस्ट्रेशन कराने के बाद २० इंजीनियर भी मैदान में नहीं हैं। युवा इंजीनियरों को ठेकेदारी के लिए न तो लोन मिल रहा है और ना ही प्रशिक्षण के दौरान सरकार द्वारा किए गए वादे को मैदानी अधिकारी मान रहे हैं।

बैंकों से नहीं मिल रहा है लोन

मुख्यमंत्री युवा इंजीनियर कांट्रेक्टरों को ना तो बैंकों से लोन मिल रहा है और न ही सिक्योरिटी राशि जमा करने के लिए इनके पास रकम है। हालत यह है युवा कांट्रेक्टर घर की जमापूंजी भी बार-बार टेंडर फार्म डालने और उसकी औपचारिकताओं को पूरा करने में खर्च कर चुके हैं। टेंडर नहीं मिलने से अब ज्यादातर युवा इंजीनियर ठेकेदारों ने टेंडर डालना ही बंद कर दिया है। युवा ठेकेदारों को सबसे बड़ी दिक्कत बैंक से लोन मिलने, सिक्योरिटी राशि जमा करने और बड़े ठेकेदारों से प्रतिस्पर्धा करने में आ रही है। ये टेंडर में हिस्सा तो लेते हैं, लेकिन सबसे कम रेट बड़े ठेकेदारों के होने के कारण इन्हें ठेका नहीं मिलता है। ऐसी स्थिति में इनकी रजिस्ट्रेशन राशि भी डूब जाती है और काम भी नहीं मिलता। सरकार एक युवा इंजीनियर को प्रशिक्षण देने में करीब बीस हजार रूपए से अधिक राशि खर्च करती है। इसके अलावा युवा इंजीनियरों को तीन माह तक पांच हजार रुपए मानदेय भी देती है।


युवा इंजीनियर कांटेक्टर योजना में प्रशिक्षण के लिए युवाओं को अब नहीं बुलाया जा रहा है। युवा इंजीनियर निर्माण कार्य के लिए टेंडर में हिस्सा भी नहीं ले रहे हैं। जब तब तक उनके लिए कुछ फीसदी काम देने केलिए आरक्षित नहीं होता है तब तक युवा इंजीनियरों को मैदान में टिकना मुश्किल हो जाएगा।

-अखिलेश अग्रवाल, इंजीनियर इन चीफ, लोक निर्माण विभाग

फैक्ट फाइल

———————2014-15——2015-16——-2017—-

कुल आवेदन
आए आवेदन—————10030———3590———-5435——19055

प्रशिक्षण के लिए चयन—–492————–481——–490—-1463
इन्हें मिला प्रमाण पत्र—–426————–384——–335—–1145

कांटेक्टर के लिए 113 युवाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया


क्या कहते हैं युवा इंजीनियर कांट्रेक्टर

तीन बार टेंडर में हिस्सा लिया। लोएस्ट रेट होने के कारण बड़े ठेेकेदारों को काम मिल जाता है। ऐसी स्थिति में टेंडर का पैसा भी डूब जाता है और काम भी नहीं मिलता।
-राजेश मालवीय उज्जैन

बैंक लोन नहीं दे रहे हैं। इसके चलते काम नहीं शुरू किया।
-मंगू डामोर झाबुआ

अब ठेकेदारी नहीं करूंगा, काम नहीं ही मिलता। जो लोग जमे हैं वह लोएस्ट रेट डाल देते हैं, तो काम उन्हीं को मिलता है।
-सैयद अली जैदी, भोपाल

सभी जिलों में युवा इंजीनियर कांट्रेक्टर के लिए नोडल कार्यालय खोलने का वादा किया, लेकिन नहीं खुले। बड़े ठेकेदारों के सामने काम नहीं मिलता है।
प्रदीप विश्वकर्मा, छतरपुर

दस बार टेंडर डाला, लेकिन एक बार भी काम नहीं मिला। टेंडर का पैसा भी डूब गया।
अर्जुन परमार, उज्जैन

तैसे-तैसे काम कर रहा हूं। रेट बहुत बिलो जा रहा है। रोड के लिए तो ठेके भी नहीं ले पाता, क्योंकि इसके लिए बैंक गारंटी मांगी जाती है।
अभिनव शर्मा, अशोक नगर

सरकार कोई मदद ही नहीं कर रही है। न तो लोन मिल रहा है और न ही एफडीआर जमा में छूट दी जा रही है। जबकि एफडीआर में पांच फीसदी छूट के लिए कहा था, लेकिन यहां अधिकारी टेंडर में छूट नहीं दे रहे हैं।
गोविंद पाटीदार राजगढ़

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