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पांच साल से तेंदुए के गले में फंसा था तीर का नुकीला हिस्सा, जोबट से चार साल पहले किया था रेस्क्यू

locationभोपालPublished: Feb 20, 2019 02:01:40 am

Submitted by:

Sumeet Pandey

तेंदुए के गले में असामान्य रूप से बढ़ रही गठान का इलाज कर रहे थे चिकित्सक, गठान फूटी तो दिखा तीर

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पांच साल से तेंदुए के गले में फंसा था तीर का नुकीला हिस्सा, जोबट से चार साल पहले किया था रेस्क्यू

भोपाल. वन विहार में मंगलवार को एक तेंदुए के गले से पांच इंच लंबा तीर निकाला गया। आलीराजपुर के जोबट से रेस्क्यू किए गए तेंदुए के गले में यह तीर पांच साल से अधिक समय से धंसा था। तेंदुए के गले में हुई गठान के इलाज के दौरान तीर का पता चला। गठान के फूटने पर तीर का एक हिस्सा दिखा, जिसे बाहर निकाला गया। वन विहार निदेशक समिता राजौरा ने बताया कि नर तेंदुए को 2014 में जोबट से रेस्क्यू कर इंदौर स्थित चिडिय़ाघर में छह महीने रखा गया था। इसके बाद जून 2015 में तेंदुए को वन विहार लाया गया। खास बात है कि तेंदुए के गले में गठान थी, पर इस पर ध्यान नहीं दिया गया। एक महीने पहले ये गठान असामान्य रूप से बढऩे लगी तो वन विहार प्रबंधन ने इलाज शुरू किया। दवाओं के असर से गठान फूटी तो लोहे की नुकीली चीज दिखाई दी। डॉ. अतुल गुप्ता ने इसे खींचकर बाहर निकाला। तीर निकालने के बाद तेंदुए के स्वास्थ्य की विशेष निगरानी की जा रही है।
आदिवासी ने चलाया होगा तीर

तेंदुए की गर्दन से निकाले गए तीर की जांच करने पर लोहे के अग्र भाग की लंबाई पांच इंच पाई गई। अधिकारियों का कहना है कि जोबट के जंगलों में किसी वनवासी ने तेंदुए पर तीर चलाया होगा, जो गर्दन में धंस गया। तीर का बाकी हिस्सा तो टूट गया, पर लोहे का अग्रभाग फंसा रहा। बड़ा सवाल ये है कि जोबट से इंदौर चिडिय़ाघर और इसके बाद वन विहार लाने के बाद भी तेंदुए के गले में बनी गठान की जांच नहीं की गई। इससे तेंदुआ पांच साल तक परेशान रहा।
इधर, पिंजरे-ट्रैप कैमरे बेअसर, पकड़ से बाहर तेंदुआ

त्रिलंगा के रहवासी क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे में तेंदुए की मूवमेंट कैद होने के बाद वन विभाग द्वारा लगाए गए पिंजरे मंगलवार को भी खाली मिले। तेंदुए को पकडऩे के लिए वन विभाग ने तीन पिंजरे और चार ट्रैप कैमरे लगाए थे। कैमरों में भी तेंदुए की मूवमेंट दर्ज नहीं की गई। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तेंदुआ केरवा के जंगलों की ओर निकल गया है, लेकिन फिलहाल पिंजरे नहीं हटाए जाएंगे। वहीं तेंदुए के पकड़ में नहीं आने से रहवासी क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। लोग रात में घरों से निकलने से बच रहे हैं। रेंजर एपी झंवर ने बताया कि केरवा वन क्षेत्र में छह से अधिक तेंदुए हैं। इनमें से एक तेंदुआ मोर वन और त्रिलंगा की आकाशगंगा कॉलोनी पहुंच गया था। दो दिन तक तेंदुआ देखे जाने की सूचना मिलने के बाद पिंजरे और ट्रैप कैमरे लगाए गए थे।
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