आदिवासी ने चलाया होगा तीर तेंदुए की गर्दन से निकाले गए तीर की जांच करने पर लोहे के अग्र भाग की लंबाई पांच इंच पाई गई। अधिकारियों का कहना है कि जोबट के जंगलों में किसी वनवासी ने तेंदुए पर तीर चलाया होगा, जो गर्दन में धंस गया। तीर का बाकी हिस्सा तो टूट गया, पर लोहे का अग्रभाग फंसा रहा। बड़ा सवाल ये है कि जोबट से इंदौर चिडिय़ाघर और इसके बाद वन विहार लाने के बाद भी तेंदुए के गले में बनी गठान की जांच नहीं की गई। इससे तेंदुआ पांच साल तक परेशान रहा।
इधर, पिंजरे-ट्रैप कैमरे बेअसर, पकड़ से बाहर तेंदुआ त्रिलंगा के रहवासी क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे में तेंदुए की मूवमेंट कैद होने के बाद वन विभाग द्वारा लगाए गए पिंजरे मंगलवार को भी खाली मिले। तेंदुए को पकडऩे के लिए वन विभाग ने तीन पिंजरे और चार ट्रैप कैमरे लगाए थे। कैमरों में भी तेंदुए की मूवमेंट दर्ज नहीं की गई। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तेंदुआ केरवा के जंगलों की ओर निकल गया है, लेकिन फिलहाल पिंजरे नहीं हटाए जाएंगे। वहीं तेंदुए के पकड़ में नहीं आने से रहवासी क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। लोग रात में घरों से निकलने से बच रहे हैं। रेंजर एपी झंवर ने बताया कि केरवा वन क्षेत्र में छह से अधिक तेंदुए हैं। इनमें से एक तेंदुआ मोर वन और त्रिलंगा की आकाशगंगा कॉलोनी पहुंच गया था। दो दिन तक तेंदुआ देखे जाने की सूचना मिलने के बाद पिंजरे और ट्रैप कैमरे लगाए गए थे।