जो सही था वही बोला, 48 घंटे नाम उगलवाने के लिए टॉर्चर किया
अश्विनी शर्मा ने कहा कि मुझे आयकर अधिकारियों द्वारा परेशान किया गया। वह मुझे 48 घंटे तक प्रताडि़त और टॉर्चर करते रहे। कई नाम उगलवाने के लिए दबाव डाला गया। लेकिन मैंने वही बोला, जो सही था। मीडिया के लिए आईटी छापे एक राजनीतिक कदम हो सकता है, लेकिन मेरे लिए यह एक आईटी की नियमित कार्रवाई थी। जिसे मैं चैलेंज करूंगा। प्रवीण कक्कड़ के बेटे सलिल कक्कड़ मेरे पारिवारिक मित्र हैं।
अश्विनी शर्मा ने कहा कि मुझे आयकर अधिकारियों द्वारा परेशान किया गया। वह मुझे 48 घंटे तक प्रताडि़त और टॉर्चर करते रहे। कई नाम उगलवाने के लिए दबाव डाला गया। लेकिन मैंने वही बोला, जो सही था। मीडिया के लिए आईटी छापे एक राजनीतिक कदम हो सकता है, लेकिन मेरे लिए यह एक आईटी की नियमित कार्रवाई थी। जिसे मैं चैलेंज करूंगा। प्रवीण कक्कड़ के बेटे सलिल कक्कड़ मेरे पारिवारिक मित्र हैं।
ट्रांसफर-पोस्टिंग से कोई लेना-देना नहीं
सबसे खास बात यह है कि मैं व्यवसाय करता हूं। किसी राजनीतिक पार्टी को फंड नहीं देता और न ही किसी नौकरशाह से जुड़ा हुआ हूं। ट्रांसफर और पोस्टिंग की डायरी मिलने वाली सब बातें अफवाह हैं। अगर ऐसी कोई डायरी मिली होगी, तो आईटी वाले उसे उजागर करेंगे। तब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। जो नकदी बरामद हुई है, वह छोटे भाई प्रतीक के घर से बरामद की गई है। उसका जबाव देंगे और टेक्स जमा करेंगे। घर से किसी जानवर की खाल या विदेशी ट्रॉफी जब्त नहीं हुई है। खाल आर्टिफिशियल थी और ट्रॉफी स्मृति चिह्न हैं। मेरे सभी लाइसेंसी हैं। आचार संहिता के दौरान सुरक्षा कारणों से हथियार जमा नहीं किए थे। अफसरों को घर से सीमित नकदी और ज्वेलरी मिली, जिसे वह वापस कर गए। मेरे घर से आईटी छापे के दौरान जो मिला, वह अफसर सब वापस कर गए। लेकिन मेरे पूरे घर को तहस-नहस कर दिया। मैंने आईटी अधिकारियों को सभी सबूत दिए। मेरे यहां से इन्वेंट्री में कोई जब्ती नहीं है।
सबसे खास बात यह है कि मैं व्यवसाय करता हूं। किसी राजनीतिक पार्टी को फंड नहीं देता और न ही किसी नौकरशाह से जुड़ा हुआ हूं। ट्रांसफर और पोस्टिंग की डायरी मिलने वाली सब बातें अफवाह हैं। अगर ऐसी कोई डायरी मिली होगी, तो आईटी वाले उसे उजागर करेंगे। तब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। जो नकदी बरामद हुई है, वह छोटे भाई प्रतीक के घर से बरामद की गई है। उसका जबाव देंगे और टेक्स जमा करेंगे। घर से किसी जानवर की खाल या विदेशी ट्रॉफी जब्त नहीं हुई है। खाल आर्टिफिशियल थी और ट्रॉफी स्मृति चिह्न हैं। मेरे सभी लाइसेंसी हैं। आचार संहिता के दौरान सुरक्षा कारणों से हथियार जमा नहीं किए थे। अफसरों को घर से सीमित नकदी और ज्वेलरी मिली, जिसे वह वापस कर गए। मेरे घर से आईटी छापे के दौरान जो मिला, वह अफसर सब वापस कर गए। लेकिन मेरे पूरे घर को तहस-नहस कर दिया। मैंने आईटी अधिकारियों को सभी सबूत दिए। मेरे यहां से इन्वेंट्री में कोई जब्ती नहीं है।
इधर लापरवाही: डेढ़ साल में भी निरस्त नहीं किया स्पेशल नंबर अश्विनी शर्मा मामले में फर्जी नंबर पर चल रही कार के मामले में आरटीओ और स्मार्ट चिप कंपनी की लापरवाही सामने आ रही है। शर्मा के घर से मिली लग्जरी कारों में से एक पर एमपी 04 सीएस 0001 नंबर था। परिवहन विभाग की जानकारी में यह नंबर किसी को अलॉट ही नहीं है, ऐसे में यह फर्जी है। पत्रिका ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि स्मार्ट चिप कंपनी ने भी गड़बड़ी की है। अश्विनी शर्मा ने करीब डेढ़ साल पहले नीलामी के माध्यम से इस नंबर को 1.15 लाख रुपए में खरीदा था, लेकिन अब तक उसने इसका रजिस्ट्रेशन में नहीं कराया। कंपनी के इस फर्जीवाड़े से सरकार को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। दरअसल नंबर निरस्त होने की दशा में इसको फिर से नीलामी के लिए रखा जाता।
यह है नियम: विभाग स्पेशल नंबर लॉंन्च कर नीलामी के माध्यम से बेच सकता है। हालांकि बुक करने के 60 दिन के अंदर वाहन का रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इस मियाद में वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है, तो नंबर स्वत: ही निरस्त होकर अगली नीलामी में शामिल कर लिया जाता है।
होना चाहिए कंपनी की जांच
आयकर के छापे के दौरान यह मामला सामने आने पर परिवहन विभाग और स्मार्ट चिप कंपनी की लापरवाही उजागर हो गई। अब सवाल यह उठता है कि शहर में ऐसे कितने रसूखदार होंगे, जिन्होंने ऐसा फर्जीवाड़ा किया होगा।
पहले भी विवादों में रही है कंपनी
यह पहला मौका नहीं है जब कंपनी का फर्जीवाड़ा सामने आया हो। इससे पहले भी कंपनी पर बिना टेंडर काम करने के आरोप लग चुके हैं। कंपनी के खिलाफ लोकायुक्त में हुई शिकायत में कहा गया था कि कंपनी का टेंडर मार्च 2018 में ही खत्म हो गया था, लेकिन इसके बावजूद बिना टेंडर काम कर रही है।
बता रहे सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी
जब स्मार्ट चिप के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने मना कर दिया। हालांकि उनका कहना है कि रजिस्ट्रेशन ना होने की दशा में नंबर ऑटोमेटिक निरस्त हो जाता है। हो सकता है सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी के चलते नंबर निरस्त नहीं हो रहे।
होना चाहिए कंपनी की जांच
आयकर के छापे के दौरान यह मामला सामने आने पर परिवहन विभाग और स्मार्ट चिप कंपनी की लापरवाही उजागर हो गई। अब सवाल यह उठता है कि शहर में ऐसे कितने रसूखदार होंगे, जिन्होंने ऐसा फर्जीवाड़ा किया होगा।
पहले भी विवादों में रही है कंपनी
यह पहला मौका नहीं है जब कंपनी का फर्जीवाड़ा सामने आया हो। इससे पहले भी कंपनी पर बिना टेंडर काम करने के आरोप लग चुके हैं। कंपनी के खिलाफ लोकायुक्त में हुई शिकायत में कहा गया था कि कंपनी का टेंडर मार्च 2018 में ही खत्म हो गया था, लेकिन इसके बावजूद बिना टेंडर काम कर रही है।
बता रहे सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी
जब स्मार्ट चिप के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने मना कर दिया। हालांकि उनका कहना है कि रजिस्ट्रेशन ना होने की दशा में नंबर ऑटोमेटिक निरस्त हो जाता है। हो सकता है सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी के चलते नंबर निरस्त नहीं हो रहे।