इसमें गूगल जैसी कई बड़ी कंपनियों के क्लाउड-डाटा शामिल रहते हैं। इस प्रकार का सेंटर अत्यधिक सिक्योरिटी जोन होता है। सरकार आगामी इन्वेस्टर समिट के पहले ही इसका एमओयू फाइनल कर देगी। नार्वे की सरकारी कंपनी के प्रतिनिधियों को सरकार ने इस पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है।
इसके बाद प्रोजेक्ट के लिए जगह को फाइनल करके आवंटन किया जाएगा। यह जगह आष्टा के जिलाला गांव के क्षेत्र में हैं। यहां 532 एकड़ जमीन उद्योग विभाग ही आवंटित करेगा। यहां इस सेंटर को एशिया के हब के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित कंपनियों को ही रखा जाएगा। यह सेंटर करीब आठ हजार करोड़ रुपए से बनेगा। नार्वे की कंपनी ही इस राशि का निवेश करेगी।
बिजली भी बनेगी
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए बेहद ज्यादा बिजली लगती है। इसलिए नार्वे की सरकारी कंपनी ही सोलर एनर्जी से बिजली बनाएगी। पीकऑवर्स में बिजली मप्र सरकार को मिलेगी। बाद में प्रदेश सरकार यह बिजली इसी कंपनी को देगी।
532 एकड़ में आष्टा के जिलाला गांव में बनेगा सेंटर
8000 करोड़ का निवेश करेगी नार्वे की सरकारी कंपनी
क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी सेंटर
गूगल सहित जो भी तकनीकी वेब क्लाउड में रहती है, उसका एक स्टोरेज होता है। यह स्टोरेज मैनेज करना और रिप्लाई करना इसी प्रकार के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी सेंटर का काम होता है। इस सेंटर में क्लाउड में मूव करने वाली हर प्रकार की आनलाइन और ऑफलाइन वेब यानी तरंगें स्टोर होती हैं। मसलन, गूगल पर आपने कोई शब्द सर्च किया तो उस शब्द का जो रिफरेंस या डाटा डिस्प्ले होगा, वह पूरा रिफरेंस या डाटा एक स्टोरेज से निकलकर आता है। यह स्टोरेज इसी सेंटर में रहता है। आष्टा में बनने वाला ये स्टोरेज एशिया का सबसे बड़ा रहेगा। इसलिए यह पूरे एशिया के लिए हब का काम करेगा।
इंदौर-भोपाल कॉरिडोर को मिलेगा ग्लोबल बूस्टअप
सेंटर के आष्टा में आने से इंदौर-भोपाल के बीच बनने वाले एक्सप्रेस-वे के कॉरिडोर को ग्लोबल बूस्टअप मिलेगा। सरकार इंदौर-भोपाल के बीच कॉरिडोर विकसित करके मल्टीनेशनल कंपनियां लाना चाहती है। अब यह सेंटर आष्टा में तय होने से आस-पास के इलाकों में और भी बड़ी कंपनियां आ सकेंगी। साउथ एशिया की कई बड़ी कंपनियां इस सेंटर के कारण इंदौर-भोपाल कॉरिडोर का रुख कर सकती है। यह रिअल एस्टेट से लेकर कमर्शियल सेक्टर तक के लिए बूम लाएगा।