अंग्रेजी समाचार पत्र ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पठान को शुरुआत में बीसीसीआई के दफ्तर से एनओसी मिल गया था। इसके बाद अन्य कई खिलाडिय़ों ने भी दुनिया भर में खेली जा रहीं लीग का हिस्सा बनने की इच्छा जताई थी। वे भी बोर्ड से इसके लिए इजाजत चाहते थे। इतने आवेदनों के बाद बोर्ड को अपने फैसले पर दोबारा विचार करना पड़ा। बोर्ड ने कहा है कि वह अपनी इस नीति पर कायम है कि भारतीय क्रिकेटरों को आईपीएल के अलावा किसी अन्य लीग में खेलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि कहा जा रहा है कि इस फैसले के पीछे कुछ और ही वजह है।
बोर्ड के इस फैसले से प्रभावित होने वाले दूसरे क्रिकेटर दिनेश कार्तिक हैं जो कैरेबियन प्रीमियर लीग में खेलना चाहते थे। इस मसले पर हालांकि पठान से बात नहीं हो पाई है लेकिन कार्तिक ने इस बात की पुष्टि की है कि उनकी अर्जी नामंजूर कर दी गई है। बोर्ड के एक सदस्य ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि भारतीय खिलाड़ी ब्रांड वैल्यू रखते हैं।
अगर वे विदेशी लीग से जुड़ेंगे तो इंडियन फैंस भी संबंधित लीग से जुड़ जाएंगे। भारतीय क्रिकेटरों के जाने से बोर्ड के प्रायोजक भी उसमें रूचि दिखाएंगे। ऐसे में बीसीसीआई को डर था कि आईपीएल का प्रतिस्पर्धी भी खड़ा हो सकता है। इस वजह से हम किसी भारतीय खिलाड़ी को विदेशी लीग में खेलने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।
पठान हॉन्ग कॉन्ग लीग में कोलून कैंटन फ्रेंचाइजी की ओर से खेलने वाले थे। यूसुफ पठान फिलहाल बीसीसीआई के अनुबंधित खिलाड़ी नहीं है। उन्हें सैयद मुश्ताक अली टी-20 ट्रॉफी के लिए भी नहीं चुना गया है। पठान लंबे समय से टीम इंडिया से बाहर हैं। पठान उस टीम का हिस्सा रहे हैं जिसने 2007 का टी-20 विश्वकप और 2011 का वनडे विश्व कप जीता था।