उन्होंने राज्यपाल से आग्रह किया है कि सत्र कम से कम १५ दिवसीय होना चाहिए। विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना के तहत इस चार दिवसीय सत्र में प्रश्नकाल, ध्यनाकर्षण सहित अन्य जरूरी कार्य होंगे। इस सत्र में राज्य का बजट पेश नहीं होगा, बल्कि सरकार लेखानुदान पेश करेगी। इसके तहत चार माह के लिए खर्च के लिए राशि की इजाजत सदन से ली जाएगी।
इसके बाद के सत्र में सरकार राज्य का बजट का पेश करेगी। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की आपत्ति है कि इस चार दिवसीय सत्र में मात्र तीन दिन बैठकों के लिए है। इस तीन दिन में लोक महत्व के विषयों पर चर्चा नहीं हो पाएगी। किसानों की कर्ज माफी, पाले पर फसल की मार, समर्थन मूल्य पर फसलों के उपार्जन सहित अन्य विषयों पर सदन में चर्चा होना है, इस कम समय में इन गंभीर विषयों पर चर्चा संभव नहीं है। इसलिए सदन की बैठकों का समय बढ़ाया जाना चाहिए।
कम होती जा रही हैं बैठकों की संख्या – पिछली कुछ विधानसभाओं में हुई बैठकों पर नजर डाली जाए तो बैठकों की संख्या में कमी आई है। कई सत्र तो एेसे भी हुए जो निर्धारित समय अवधि के पहले ही समाप्त हो गए। हाल ही में समाप्त हुआ १५वीं विधानसभा का पहला सत्र पांच दिन का था लेकिन यह सत्र चार दिन में ही समाप्त हो गया।