भोपाल

धन के स्थायित्व के लिए करें अष्ट लक्ष्मी पूजन

दीवाली पर अष्ट लक्ष्मी पूजन पर विशेष,बहुत सरल विधि, घर में स्वयं कर सकते हैं पूजन

भोपालNov 06, 2018 / 11:19 am

दिनेश भदौरिया

धन के स्थायित्व के लिए करें अष्ट लक्ष्मी पूजन

भोपाल. अभी तक अधिकांश लोग भगवान श्री गणेश के साथ विराजमान लक्ष्मी के एक ही रूप के बारे में जानते हैं। ख्यात ज्योतिषी आचार्य राजेश ने पत्रिका को लक्ष्मी के आठ स्वरूपों के बारे में बताया। वैसे तो लक्ष्मी को चंचला कहा गया है, लेकिन दीवाली को अष्ट लक्ष्मी के पूजन से धन में ठहराव आता है।

अष्ट लक्ष्मी के पूजन के लिए पहले गाय के गोबर या हल्दी से चौक बनाएं और उसके ऊपर चावल रखकर चौकोर लाल कपड़ा बिछाएं। कपड़े पर मध्य में लक्ष्मी-गणेश या श्रीयंत्र स्थापित करें। गाय के घी का दीप प्रज्ज्वलित करें। जल छिड़ककर हल्दी-कुमकुम लगाएं, कलावा के वस्त्र अर्पित करें।
 

फिर अष्टगंध का तिलक लगाएं। रोली में मिले हुए थोड़े से चावल हाथ में लेकर गज लक्ष्म्यै नम: बोलकर पूर्व दिशा में रख दें। फिर थोड़े से रोली वाले चावल लें लक्ष्म्यै नम: बोलकर आग्नेय कोण में रखें। रोली वाले चावल लेकर वीर लक्ष्म्यै नम: बोलकर दक्षिण दिशा में रखें, फिर थोड़े चावल लेकर धान्य लक्ष्म्यै नम: बोलकर नैऋत्य कोण में रखें। इसके बाद थोड़े चावल लेकर धन लक्ष्म्यै नम: बोलकर पश्चिम दिशा में रखें, फिर थोड़े चावल आद्य लक्ष्म्यै नम: बोलकर वायव्य कोण में रखें। इसके बाद थोड़े चावल विजय लक्ष्म्यै नम: बोलकर उत्तर दिशा में रखें, थोड़े चावल संतान लक्ष्म्यै नम: बोलकर ईशान कोण में रखें।
 

इस तरह आठों लक्ष्मी स्थापित हो जाती हैं। इनका धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें। सबको एक-एक सिक्का अर्पित करें। इसके बाद आटे व हल्दी के बने छह दीपक से अष्ट लक्ष्मी की आरती करें। आरती के बाद चारों कोनों पर चार दीपक रखें, एक दीपक थाली में और शेष एक दीपक अपनी तिजोरी के पास रख दें।
दीवाली की रात ११.४० से १२.२० बजे तक आठों लक्ष्मी को बीच में रखे श्रीयंत्र या लक्ष्मी गणेश अलग हटाने के बाद नीचे बिछे लाल कपड़े में लपेट लें। अष्ट लक्ष्मी को तिजोरी में रख दें। दूसरे दिन आटे के दीपकों की बाती हटाकर गाय को दीया खिला दें।

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